बिहार के सभी सरकारी विभागों में अब पीवीसी फ्लैक्स वाले पोस्टर-बैनर का इस्तेमाल नहीं होगा। इन्हें सरकारी आयोजनों, योजनाओं के प्रचार-प्रसार और विज्ञापनों में पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया है।
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राज्य सरकार ने यह निर्देश सभी सरकारी विभागों के प्रधान सचिवों और जिलाधिकारियों को जारी किए गए हैं। अब कोई विभाग सरकारी योजनाओं के प्रचार-प्रसार या आयोजनों के दौरान पीवीसी फ्लैक्स वाले पोस्टर-बैनर का प्रयोग नहीं करेगा। इसके अलावा सभी सरकारी विभागों में एकल प्रयोग प्लास्टिक के प्रयोग पर भी पूरी तरह रोक लगा दी गई है।
केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के सचिव सीके मिश्रा ने मुख्य सचिव को पत्र भेजा था। इसमें एकल प्रयोग प्लास्टिक और पीवीसी (पॉली विनायल क्लोराइड) फ्लैक्स के इस्तेमाल पर रोक लगाने को कहा गया था। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वर्ष 2022 तक देश को एकल प्रयोग प्लास्टिक मुक्त किए जाने के निर्देशों का भी हवाला दिया गया था।
इसके बाद राज्य सरकार की ओर से पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रधान सचिव दीपक कुमार सिंह ने सभी डीएम और विभागों के निर्देश जारी किए हैं। सभी विभागों और सरकारी कार्यालयों में सिंगल यूज प्लास्टिक और पीवीसी फ्लैक्स वाले पोस्टर-बैनर का उपयोग न करने को कहा गया है। इसकी जगह कपड़े के बैनर-पोस्टर, थैलों, प्राकृतिक फाइबर आधारित सैंडविच बोर्ड आदि उपयोग में लाने को कहा गया है।
- केंद्र ने एक एडवाइजरी जारी की थी। उसी के बाद राज्य के सभी सरकारी कार्यालयों में पीवीसी प्लैक्स और सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग न करने के निर्देश दिए गए हैं। -दीपक कुमार सिंह, प्रधान सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग
100 साल में भी नष्ट नहीं होता पीवीसी
एकल उपयोग प्लास्टिक और पीवीसी बेहद घातक है। पीवीसी अविघटनकारी है और इसका विनाश सौ साल में भी नहीं होता। यह पेड़ों की जड़ों के विकास को बाधित करता है। इससे भूगर्भ जलस्तर भी प्रभावित होता है क्योंकि इनके जमीन की सतह पर जमा होने से पानी अंदर नहीं जा पाता। वहीं एकल प्रयोग प्लास्टिक और इससे बने बैगों को पशु निगल जाते हैं। यह उनकी आंतों में जमा होकर उन्हें मौत के मुंह तक ले जाता है। इतना ही नहीं इस प्लास्टिक को जलाने पर जहरीली गैस वातावरण में फैल जाती है। इससे श्वास और फेफड़े संबंधी बीमारियां हो जाती हैं।
हर माह 25 करोड़ से अधिक के फ्लैक्स की खपत
राज्य में करीब 10 हजार फ्लैक्स प्रिंटिंग मशीनें हैं। इन मशीनों पर हर महीने 25 करोड़ से अधिक के पीवीसी फ्लैक्स वाले पोस्टर-बैनर छपते हैं। हालांकि यह आंकड़ा सरकारी और निजी क्षेत्र दोनों में प्रयोग होने वाले फ्लैक्स का है।
इनपुट : हिन्दुस्तान