सौरभ शेखर श्रीवास्तव की ब्यूरो रिपोर्ट : “नेशनल स्कूल दरभंगा जो “गाँधी मंदिर” के नाम से विख्यात धरोहर है वहां गौरवशाली दरभंगा टीम के युवायों द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी का 152 वां जन्मदिवस मनाया गया।”
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राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रेरणा से वर्ष 1920 में स्वंतंत्रता सेनानी कमलेश्वरी चरण सिन्हा ने “नेशनल स्कूल” बनवाया था । विद्यालय के साथ अनाथालय भी चलता था नेशनल स्कूल में । गांधी द्वारा लिखित पुस्तक “यंग इंडिया” में भी नेशनल स्कूल,दरभंगा का जिक्र ।
उक्त बातें गौरवशाली दरभंगा टीम द्वारा SAVE OUR HERITAGE मुहिम के तहत राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का 152वां जन्मदिवस मनाते हुए प्रख्यात इतिहासकार सुशांत भास्कर ने गांधी के तैल चित्र पर श्रद्धा पुष्प अर्पित करते हुए कहीं । आगे उन्होंनें कहा कि इसमें विदेशी स्कूलों के बहिष्कार के साथ-साथ स्वाधीनता की लौ जलाने का काम शुरू किया गया ।
मौके पर गौरवशाली दरभंगा के संस्थापक सदस्य मनीष राज ने अपने उद्बबोधन में कहा कि परिसर के गौरवमय अतीत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री मातृका प्रसाद कोइराला से लेकर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जननायक कर्पूरी ठाकुर को भी विद्यार्थी के रूप में देखा हैं ।
साथ ही उन्होंने बताया कि यह ऐतिहासिक स्थल आजादी के लड़ाई के साथ-साथ सामाजिक कुरीतियों को दूर करने की मुहिम का भी गवाह रहा है । मौके पर समाजसेवी कामेश्वर ओझा ने इस ऐतिहासिक विद्यालय की स्थापना में ममतामयी महारानी कामेश्वरी प्रिया के बहुमूल्य योगदान की विस्तार से चर्चा की ।
मौके पर दरभंगा सेंट्रल स्कूल के प्रिंसिपल अभय कुमार कश्यप ने कहा कि यहाँ फिरंगी हुकूमत से छिप कर देशभक्तों ने शरण ली थी । साथ ही उन्होंने यहाँ समय-समय पर शरण लेने वालों में वैकुंठ शुक्ल,योगेंद्र शुक्ल,बाबू सूरज नारायण सिंह,ब्रजकिशोर प्रसाद,धरणीधर प्रसाद,पंडित रामनंदन मिश्रा,यमुना लाल बजाज,यदुनंदन शर्मा ,कुलानंद वैदिक आदि के बारे में बताया । मौके पर लक्ष्मीश्वर पब्लिक लाइब्रेरी के सचिव तरुण मिश्रा ने इसके गौरवमय अतीत पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 1927 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के हाथों यहां अनाथालय का शिलान्यास किया गया । 1930 आते-आते यह स्वाधीनता के समय उत्तर भारत का केंद्र बन गया । देश मे असहयोग आंदोलन के समय विभिन्न इलाकों में स्थापित राष्ट्रीय विद्यालय बंद हो चुके थे, पर दरभंगा में यह सक्रिय रहा । मौके पर गौरवशाली दरभंगा टीम के सदस्य राहुल कुमार ने बताया कि 1950 में यहाँ देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद यहाँ आए तब तक यह सर्वोदय क्रांति से जुड़ चुका था । कमलेश्वरी बाबू के आग्रह पर राजेन्द्र बाबू दुबारा 24 मार्च 1955 को “राष्ट्रीय शहीद स्मारक गांधी मंदिर” का शिलान्यास करने पहुंचे । लेकिन राजेन्द्र बाबू ने इसकी बुनियाद राष्ट्रीय विद्यालय के कमलेश्वरी बाबू के हाथों दिलवाई । मौके पर महाराजा कामेश्वर सिंह,श्री कृष्ण सिंह व गुलजारी लाल नंदा भी मौजूद थे । उसी वक्त कमलेश्वरी बाबू के देहावसान हो जाने से गांधी मंदिर की परिकल्पना पर विराम सा लग गया ।
गौरवशाली दरभंगा टीम के व्यवस्थापक कल्पराज नागवंशी ने उपस्थित लोगों को पूर्व विधान परिषद सदस्य डॉ. विनोद चौधरी के द्वारा गैर सरकारी संकल्प के माध्यम से धरोहर के संरक्षण हेतु इस मुद्दे को सदन में पुरजोर ढंग से उठाने का वाकया बताया ।
मौके पर सामाजिक सरोकार से जुड़े युवा सह कार्यक्रम के संयोजक उज्ज्वल कुमार ने कहा कि मिथिला की सांस्कृतिक राजधानी दरभंगा के हृदयस्थली में हसन चक से टावर जाने मुख्य मार्ग पर एक बूढ़ी इमारत चुप चाप खड़ी है । इसकी जर्जर काया पर पेड़-पौधे भी उग आए है । साथ ही उज्ज्वल कुमार ने कहा कि विगत दिनों माननीय सांसद गोपालजी ठाकुर को भी इस धरोहर के संरक्षण हेतु अतिथि गृह में मिलकर ध्यानाकृष्ट किया हैं। विस्तृत चर्चा के दौरान श्री ठाकुर ने आगामी सत्र में इस बात को जोरदार ढंग से उठाने और इस धरोहर के गौरवमय अतीत के लौटने तक प्रयास जारी रखने का वचन दिया ।
धन्यवाद ज्ञापन के क्रम में ओडिशी नृत्य के सशक्त हस्ताक्षर जयप्रकाश पाठक ने हेरिटेज बचाने की मुहिम में कार्य कर रहे सभी संस्थाओं को एक मंच पर आकर आगे बढ़ने की बात कही । साथ ही बिहार के संवेदनशील मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी धरोहर को मूल स्वरूप में लौटाने की अपील की ताकि गांधी को सच्चे अर्थों में श्रद्धांजलि दी जा सके ।
इस अवसर पर गौरवशाली दरभंगा टीम के अनूप कुमार झा, अविनाश कुमार,बम बम कुमार, राकेश मिश्रा,पीयूष चंदन,सुमन कुमार, सत्यम कुमार,भोगेन्द्र कुमार, राकेश कुमार आदि दर्जनों युवा उपस्थित थे ।