डेस्क। 17 फरवरी को अयोध्या से चली जानकी ज्योति जागृति पदयात्रा 26वें दिन बिहार के सीतामढ़ी स्थित सीताजी के प्राकट्य स्थान पुनौराधाम पहुंच गई। यात्रा के समापन पर १३ मार्च को सीता जन्मभूमि पुनौराधाम के विशाल प्रेक्षागृह में स्थानीय राघव परिवार की ओर से भव्य स्वागत समारोह का आयोजन किया गया।
जन जागृति मंच दिल्ली के नेतृत्व में जानकी ज्योति जागृति यात्रा 2024 के नाम से चल रही यह यात्रा उत्तर प्रदेश के दस और बिहार के पन्द्रह स्थानों पर रात्रि पड़ाव के लिए रुकी। इस दौरान लगभग 75 छोटी बड़ी जनसभा आयोजित की गई।
यात्रा के क्रम में विभिन्न स्थानों पर हुई लोक सम्पर्क सभा को संबोधित करते हुए आयोजक संस्था जनजागृति मंच दिल्ली के अध्यक्ष के एन झा ने कहा कि जिस तरह अयोध्या में श्रीराम की जन्मभूमि है उसी तरह सीतामढ़ी का पुनौराधाम बिहार में सीतामाता का प्राकट्य धाम है। हमें अपने जीवन में बार बार इन दोनों स्थान की यात्रा करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि सीता सहित मिथिला की चार बेटियों माण्डवी, श्रुतकीर्ति और उर्मिला ने भारतीय धर्म और संस्कृति के निर्माण में अतुलनीय योगदान दिया है। इन चार में सबसे बड़ी सीता के प्राकट्य स्थान पुनौराधाम के दर्शन करने से हमारे परिवार में मिथिला के श्रेष्ठ संस्कारों का निर्माण होगा जिससे पारिवारिक जीवन सुखमय होगा। इसलिए पुनौराधाम में सीतामाता का भव्य मन्दिर बनना चाहिए जिसमें सीताजी के बालस्वरूप को स्थापित कर प्राणप्रतिष्ठा की जानी चाहिए।
यात्रा संयोजक मनोज पाठक ने यात्रा उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए कहा कि अयोध्या में श्रीराम जन्म भूमि पर भव्य मन्दिर निर्माण के बाद अब सीताजी के प्राकट्य स्थान पुनौराधाम में मिथिला की बेटी सीताजी का भव्य मन्दिर बनाने के साथ सीतामढ़ी क्षेत्र का विकास अयोध्या की तरह करना आवश्यक है। उन्होने कहा कि केवल अयोध्या का विकास एक पक्षीय और असन्तुलित रहेगा क्योंकि श्री राम की शक्ति सीताजी हैं और त्रेताकाल में इन दोनों के मिलन और दाम्पत्य जीवन ने ही भारतीय समाज में पुनः आदर्श और मर्यादा की स्थापना की। दोनों शक्ति श्री राम और सीता के जन्म स्थान को एक सूत्र में बाँध कर दोनों के भव्य विकास से दो ध्रुव तैयार होंगे और इस क्रम में मिथिला और अवध दोनों स्थानों के बीच विवाह के बाद पहली बार सीता-राम के अयोध्या आगमन से संबंधित अनेक ज्ञात-अज्ञात छोटे बड़े प्राचीन स्मृति तीर्थ स्थानों का भी विकास होगा। जानकी ज्योति जागृति यात्रा के समापन पर १३ मार्च को सीता जन्मभूमि पुनौराधाम के विशाल प्रेक्षागृह में स्थानीय राघव परिवार की ओर से भव्य स्वागत समारोह का आरंभ गोसाउनिक गीत जय-जय भैरव से हुआ जिसे कुंजबिहारी मिश्र और साथियों की ओर से प्रस्तुत किया गया।
इस अवसर पर प्रोफेसर वीरेन्द्र प्रसाद सिंह, धनुषधारी प्रसाद सिंह आदि ने अंगवस्त्र प्रदान कर यात्रियों का स्वागत किया। स्वागत समारोह का संचालन वरिष्ठ पत्रकार राम शंकर शास्त्री ने किया। उन्होंने कहा कि बहन सीता अब खुद अपने जन्मभूमि का विकास करने का मन बना चुकी हैं इसीलिए उन्होंने प्रवासी मैथिल सन्तानों को निज प्राकट्यधाम के लिए अयोध्या से पैदल चल कर यहाँ आने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म के सभी लोग मिथिला के सन्तानों की इस पहल का साथ देंगे और पुनौराधाम सबके सहयोग से विश्वस्तरीय तीर्थ बनेगा। समारोह में सीतामढ़ी के अनेक प्रख्यात संतो ने भी हिस्सा लिया।
जिले के चर्चित संत किशोरी शरण मुठिया बाबा ने कहा कि परम सौभाग्य है कि अयोध्या से पैदल चल कर सैकड़ो लोग पुनौराधाम आए हैं। उन्होंने कहा कि प्रयास करने वालों की कभी हार नहीं होती और परहित की भावना को लेकर चलने वालों की मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है। उन्होंने स्वामिनी सिया जू हमारी , फिकर मोहे काही की, गाकर पदयात्रियों मे उत्साह का प्रवाह कर दिया। संत भूषण दास और राम बालक दास ने सीता की धरती का बखान किया।
इस अवसर एक भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित हुआ जिसमें कुंज बिहारी मिश्र और माधव के अतिरिक्त अन्य कलाकारों ने मोहक प्रस्तुतियाँ दी। जानकी ज्योति यात्रा के समापन समारोह में बड़ी संख्या में लोग सम्मिलित हुए।
इनमें जनजागृति मंच दिल्ली के अध्यक्ष के एन झा, अखिल भारतीय मिथिला संघ दिल्ली के अध्यक्ष विजय चन्द्र झा, मैथिली लोक संस्कृति मंच दरभंगा के महासचिव उदय शंकर मिश्रा लोकवेद पीठ के आनन्द और टिंकू झा, और पदयात्री सतीश चौहान, मनोज पाठक, भारत भूषण बारी, नन्द किशोर महतो, डिलन सिंह, किशन, मनोज झा, डाक्टर प्रदीप कुमार झा हरिशंकर तिवारी के अलावा सैकड़ों स्थानीय लोगों ने हिस्सा लिया।सीता शक्ति के रूप में कामिनी कुमारी , रेणु कुमारी, रेखा झा , संजु झा , पुतुल मिश्रा, आशा कुमारी , सिद्धिप्रिया आदि महिलाओं ने भी अन्तिम चार दिनों की में पदयात्रा में उत्साह के साथ भाग लिया।