दरभंगा / जाले : कृषि विज्ञान केंद्र में आयोजित कृषि अवशिष्ट प्रबंधन प्रशिक्षण के तीसरे दिन मृदा वैज्ञानिक सह केंद्र प्रभारी डॉ. ए.पी. राकेश ने प्रशिक्षणार्थी को बताया की केचुआ का प्रयोग कर व्यावसायिक स्तर पर जैविक खाद बनाया जाता है। इस विधि द्वारा कम्पोस्ट मात्र 60 दिन में तैयार हो जाता है। आज केचुए की कुछ ऐसी प्रजातियों की खोज हुई है जिनका पालन कर प्रतिदिन के कचड़े को एक अच्छी जैविक खाद वर्मी कम्पोस्ट में बदल सकते हैं।
वर्मी कम्पोस्ट लकड़ी के बॉक्स, प्लास्टिक का कैरेट, इसी की बाल्टी, इंट के बने टैंक में किया जा सकता है। इसके बनाने की सतही विधि, टैंक विधि, समेत अन्य विधियां है। जिसके द्वारा आसानी से वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन किया जा सकता है। साथ ही उन्होंने पोषक तत्वों से भरपूर संवर्धित वर्मी कम्पोस्ट एवं फोस्फो सल्फो कम्पो उपज प्राप्त की जा सकती है। साथ ही इसे जैव कीटनाशी के रूप में भी उपयोग किया जा सकता है। प्रशिक्षण वैज्ञानिक मुकेश कुमार समेत कृषि विशेषज्ञों ने दिया।