दरभंगा (विजय सिन्हा) : बुधवार को मोहल्ला जुड़ावन सिंह में अमरेश्वरी चरण सिन्हा के आवास पर बिहार के सर्वोदयी एवं गांधीवादी चिंतक हृदय नारायण चौधरी ने कहा के महात्मा गांधी के राम कर्म योगी थे और गांधी ने कर्म की पूजा की है इसलिए गांधी के विचारों को आत्मसात करने की जरूरत है।
महात्मा गांधी एवं ललितेश्वरी चरण स्मृति दिवस के अवसर पर जन जागरण परिषद द्वारा “गाँधी के राम” विषय पर आयोजित एक संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा गांधी ने अपने संपूर्ण जीवन में राम को हृदयंगम किया जिस कारण उनके सभी कर्मों में ईश्वरीय दृढ़ता दिखाई देती है। प्रोफेसर किरण शंकर प्रसाद ने कहा गांधी में निर्भीकता थी और वह भयमुक्त थे। वर्तमान में राम कभी सत्ता की इर्द-गिर्द घूमते नजर आते हैं तो कहीं सत्ता के लिए नजर आते हैं ऐसे में गांधी के राम को समझने और दृढ़ निश्चय के साथ उस पर चलने की जरूरत है।
संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए हिंदी के वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. अजीत कुमार वर्मा ने कहा आज चरित्र का नहीं चारित्र्य का अनुकरण करना चाहिए। गांधी ने राम की तरह यह सोच नहीं रखी थी लोग क्या कहेंगे। प्रोफेसर वर्मा ने सीता और राम के संबंधों की चर्चा करते हुए कहा कि सीता को राम के निर्णय पर कोई आपत्ति नहीं थी व संघर्ष के पथ पर वन गमन को तैयार थी वस्तुतः इसे ही चारित्रिक बल कहते हैं।
प्रोफेसर वर्मा ने कहा कि गांधी हमेशा अपने इष्ट राम से यह प्रार्थना करते थे कि कोई भी व्यक्ति कितना भी कटु वाक्य उनके संबंध में कहे परंतु उन्हें क्रोध ना आए वस्तुतः गांधी ने क्रोध पर विजय प्राप्त कर लिया था। स्वागत परिषद के अध्यक्ष नरेश राय ने किया वहीं धन्यवाद ज्ञापन राजू राम ने किया जबकि संचालन अभिताभ कुमार सिन्हा ने किया।