डेस्क : मिथिला की बेटी डॉ. अर्चना मिश्रा को सिजोफ्रेनिआ (पागलपन) के मरीजों में रेमेलटीऑन दवा के प्रभाव के अध्ययन पर किये गए शोध के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर का युवा अन्वेषक अवार्ड से सम्मानित किया गया है। डॉ. अर्चना को यह पुरस्कार चिकित्सा के क्षेत्र की विश्व प्रसिद्ध संस्था वर्ल्ड फेडरेशन आॅफ सोसाइटीज एण्ड बायोलॉजिकल साइकाइट्री, बर्लिन, जर्मनी के द्वारा वैंकुवर, कनाडा में 2-6 जून को आयोजित होने वाली बायोलॉजिकल साइकाइट्री के 14वें विश्व सम्मलेन के अवसर पर प्रदान किया जाएगा।
इस पुरस्कार को ग्रहण करने एवं अपने शोध पर चर्चा करने हेतु भारत सरकार की दो संस्थाएं भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद् व विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने डॉ. अर्चना को कनाडा जाने-आने का यात्रा व्यय एवं वीजा फीस के लिए तीन लाख रुपये इंटरनेशनल ट्रेवल ग्रांट के तहत देने की स्वीकृति प्रदान की है।
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ज्ञात हो कि डॉ. अर्चना अप्रैल 2019 में आयोजित भुवनेश्वर की स्नातकोत्तर की परीक्षा में प्रथम श्रेणी में प्रथम स्थान से उत्तीर्ण हुई है। स्नातकोत्तर में अध्ययनकाल में ही उनके कई आलेख विश्व विख्यात जर्नल में प्रकाशित हैं।
डॉ. अर्चना, दिग्घी पश्चिम प्रोफेसर कॉलोनी निवासी डॉ. वीणा मिश्रा एवं एमएलएसएम कॉलेज, दरभंगा रसायन विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. प्रेममोहन मिश्रा की एकलौती सुपुत्री हैं।
ज्ञात हो कि डॉ. अर्चना 2003 में दरभंगा से सीबीएसई की 12वीं की परीक्षा में अव्वल रह चुकी हैं।