दरभंगा : सृष्टि फाउंडेशन द्वारा आयोजित दरभंगा नृत्य उत्सव से वीरान पड़ी ऐतिहासिक इन्द्रभवन को देखने को मिला अद्भुत नजारा। सप्तरंगी प्रकाश में चमचमाती इन्द्रभवन का पूरा परिसर जगमगा उठा, वस्तुत: दरभंगावासियों को पहली बार इसका वास्तविक सौन्दर्य देखने को मिला हो।
दरभंगा नृत्य उत्सव का आगाज पारम्परिक रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर प्रसिद्ध नृत्यांगना नीलम चौधरी, अंतरराष्ट्रीय कत्थक नृत्यांगना डा रंजना सरकार और गुरु हिमांशु शेखर नायक के द्वारा सामुहिक रूप से किया गया।
इस अवसर पर उद्घाटन समारोह को संबोधित करती हुई नृत्यांगना नीलम चौधरी ने कहा कि हमलोग अपने व्यवहारिक जीवन मे हर पल नृत्य की मुद्रा से ही जुड़े होते हैं। सुबह बिस्तर छोड़ने से लेकर रात को बिस्तर पर जाते तक यह दृष्टव्य है।
रंजना सरकार ने नृत्य के बढ़ते हुए आयाम पर जोर देते हुए वर्तमान परिदृश्य में इसकी उपयोगिता बताई। कहा कि जीवन में संगीत और नृत्य नहीं है तो वह अधूरा है।
वहीं अपने संबोधन में भावुक होते हुए गुरु हिमांशु शेखर नायक ने कहा की आज सृष्टि के स्वरूप को देखता हूं तो आंखों से खुशी के आंसू को नहीं रोक पाता हूं। उन्होने कहा कि आज भी उस समय के प्रतिकूल परिस्थितियों को याद करता हूँ तो मन अचंभित हो उठता है, पर यह जयप्रकाश का अथक लगन ही था, जो आज सांस्कृतिक रुप से समृद्ध मिथिला में भी ओडिसी को इस स्वरूप में स्थापित किया। इसके पूर्व स्मारिका का विमोचन किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ रितु, सपना, हरिओम एवं अन्य के द्वारा सरस्वती वंदना से हुई। नृत्य की शुरूआत मंगलाचरण से हुई जो कि ओडिसी नृत्य के पांच भागों में से पहला है। छोटे- छोटे बच्चों द्वारा प्रस्तुत इस नृत्य के त्रिभंग छटा ने दर्शकों का मन मोह लिया। आशीर्वाद स्वरूप उपस्थित कलाप्रेमियों ने भी पूरे परिसर को अपने तालियों से गुंजायमान कर दिया। छोटे-छोटे बच्चों ने भी भगवान शिव की अराधना में नागेन्द्रहराय नृत्य भी प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय स्तर के ओडिसी नर्त्तक सचिकान्त प्रधान ने अपने भाव भंगिमाओं से सभी को आकर्षित किया। कत्थक नर्तक मधुरिमा गोस्वामी ने नृत्य के साथ ही पेन्टिंग कर दर्शकों को आश्चर्यचकित कर दिया।
भरतनाट्यम की प्रस्तुति से सोनपुर मंडल के सम्राट आध्या ने भी दर्शकों को प्रभावित किया। भगवान विष्णु के विभिन्न रुप पर आधारित विष्णु वंदना नृत्य से पूरा परिसर भक्तिमय हो गया। ताल और छन्द की प्रधानता वाली नृत्य वसन्त पल्लवी को प्रस्तुत करते हुए पलक राज, आदर्श उज्जवल, कोमल माँझी, रिषिका भारती एवं प्रियांशी मिश्रा ने सुर और ताल के समन्वयता को दिखाया।
सृष्टि फाउंडेशन के निदेशक जयप्रकाश पाठक के नेतृत्त्व मे पंच महाभूत की प्रस्तुति में पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और आकाश में से किसी एक के भी ना रहने से ब्रह्माण्ड का चरण -प्रचलन बन्द होने को दिखाया गया। जबकि बिहार के सोंधी मिट्टी की महक को समेटे कजरी, झिझिया, छठ, सामा चकेवा, होली आधारित लोक नृत्य की प्रस्तुति से कलाकारों ने पुरे जनमानस को विशेषकर महिलाओं को अपने अतीत का भ्रमण कराया।