डॉ.एस.बी.एस.चौहान,ब्यूरो इटावा
चकरनगर(इटावा)। हमारे जनपद की जिलाधिकारी श्रीमती सेल्वा कुमारी जे अपनी कड़ी मेहनत और मशक्कत के साथ शासन की योजनाओं को सही तरीके से क्रियान्वयन करने में रात और दिन एक करने में जुटी हुईं है लेकिन उनके ही अधीनस्थ अधिकारी और कर्मचारी शासन और प्रशासन की मंशा पर किस तरीके से पानी फेर कर उसे नाकाम करने में लगे हुए हैं इसका जीता जागता उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए मैं ग्रामसभा कुंदौल मैं एक गरीब परिवार की ओर लेकर चल रहा हूं जहां पर विकासखंड प्रशासन की चलते धींगामुश्ती के बीच चयनित संगीता देवी मायूसी के साथ-साथ मजबूरी के दरिया में गोते लगा रही है। विकासखंड चकरनगर के ग्राम सभा कुंदौल में गरीब महिला संगीता देवी पत्नी गंभीर सिंह को लगभग 1 वर्ष पूर्व आवास पात्रता की श्रेणी में चयनित कर नाम सूची में प्रकाशित हुआ था जिसके आधार पर संगीता देवी से और उसके पति से विकासखंड प्रशासनिक अधिकारियों और
कर्मचारियों ने संपर्क बनाया जिस संपर्क के चलते संगीता देवी से ₹25000 यह कहकर कि यह सिक्योरिटी के रुप में धन जमा हो रहा है जमा कर दीजिए उसके बाद आपको आवास दिया जाएगा जो 120000 का, जिसमें अंतिम किस्त में आपका यह जमा धन भी आपको वापस मिल जाएगा इस प्रयास के चलते संगीता देवी और उसके पति गंभीर सिंह ने जैसे भी टूटी ग्रहस्थी में 25,000 का कलेक्शन कर विकासखंड/ प्रशासनिक तंत्र को दिया गया उसके बाद प्रथम किस्त के रूप में ₹40000 प्रार्थनी संगीता को प्राप्त हुआ जिसमें आवास के निर्माण हेतु सामग्री लेकर कार्य प्रारंभ किया गया इसके बाद संगीता देवी ने दूसरी किस्त प्राप्त करने के लिए विकासखंड प्रशासनिक अधिकारी इंद्रपाल सिंह भदौरिया सचिव ग्राम पंचायत कुंदौल से कहा तो उन्होंने यह कहते हुए कि ₹6000 लाइए तब दूसरी किस्त मिलेगी तो
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संगीता देवी भौंचक्की रह गई और यह निवेदन किया कि मैंने आपको श्रीमान जी पहले ₹25000 दिए थे और इतने ही की मांग थी अब आप 6 हजार और मांग रहे हैं इसका मैं मतलब नहीं समझ पा रही हूं तो सचिव इंद्रपाल सिंह भदोरिया ने बताया कि तुम्हें सवा लाख की कॉलोनी दी गई है जिसमें यह हमारा कलेक्शन है इस कलेक्शन को मैं जनपद तक के अधिकारियों को हिस्सा देता हूं और यदि यह पैसा नहीं पहुंचेगा तो किस्त नहीं मिल पाएगी और आवास लटका रह जाएगा जब संगीता ने यह जाना कि यह पैसा रिश्वत के तौर पर मांगा जा रहा है तो उसने रिश्वत के रूप में पैसा देने से साफ इनकार कर दिया और शिकायत शासन-प्रशासन स्तर से करानी शुरू कर दी जिसमें एक प्रार्थना पत्र जिलाधिकारी इटावा को 22. 06.2018 में दिया गया जब उस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई तो एक शपथ पत्र और शिकायत पत्र खंड विकास अधिकारी चकरनगर को दिया गया
जिसका क्रमांक 653 रजिस्टर दर्ज है इस शिकायत की जांच खंड विकास अधिकारी चकरनगर के द्वारा की गई तो प्रार्थनी संगीता ने अपनी आपत्ति शपथ पत्र के समर्थन में दर्ज कराई इस पर जांच अधिकारी/ खंड विकास अधिकारी ने अपना आपा खोते हुए यह भी धमकी दे डाली कि यदि रिश्वत का पैसा तुमने दिया है तो तुम भी अपराधी हो कार्यवाही तुम्हारी भी खिलाफ होगी संगीता ने निवेदन करते हुए कि मुझसे जब रिश्वत मांगी गई तो मैंने साफ मना ही कर दी लेकिन जो पहले रुपया मांगा गया वह सिक्योरिटी का धन बताकर मांगा गया जो मैंने जमा कर दिया था जैसे कि शौचालयों में उस समय हुआ करता था कि ₹900 जमा कर शौचालय बनने के बाद वह ₹900 अंतिम किस्त में प्राप्त उपभोक्ता को हो जाया करते थे।
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इस विनाय पर मैंने 25000 जमा किए थे जो हमारे साथ धोखाधड़ी की गई मैं इसका विरोध करती हूं और हमारा धन हमें वापस दिलाया जाए आवास जो अधूरा रह गया है वह बाकी रकम मुझे प्राप्त कराई जाए लेकिन खंड विकास अधिकारी ने यह सब कुछ सुनने को तैयार नहीं हुए और लगता है जांच को ढुल मूल तरीके से पूरा कर वरिष्ठ अधिकारियों को भी गुमराह कर दिया गया हो।
संगीता देवी ने यह भी आरोप लगाया की जांच अधिकारी ने मुझ पर यह दबाव बनाया कि सचिव साहब ने जो कहा है वैसा करिए वरना तुम्हारा आवाज अधूरा रह जाएगा और अगली किस्त नहीं मिलेगी। अब देखो मौज की बात तो यह है कि पहले काश्तकार को पात्रता श्रेणी में चयनित करना उसके बाद उस पर तरह-तरह के जंजालों को डालकर फांसना फिर उसका तरीके से दोहन कर परेशान करना यहां के कर्मचारियों व अधिकारियों की दिनचर्या में शुमार हो गया है। क्या जिलाधिकारी महोदया इस प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए गरीब महिला संगीता को न्याय दे पाने में अपनी अहम भूमिका निभाएगी?