उ.स.डेस्क : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राजद नेता और पूर्व सांसद शहाबुद्दीन की जमानत रद्द कर दी है. कोर्ट के इस फैसले के बाद अब उन्हें जेल जाना होगा. आपको बता दें कि बाहुबली नेता शहाबुद्दीन की जेल से रिहाई के खिलाफ दायर अर्जियों पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर ली थी. एक हत्याकांड में पटना हाइकोर्ट से शहाबुद्दीन को दी गयी जमानत को चुनौती देने वाली दो अपीलों पर कोर्ट ने गुरुवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
सुनवाई की जानकारी देते हुए वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि दोनों (पीडित के पिता चंदा बाबू और बिहार सरकार की अपील ) बेल खारिज करने की याचिका को कोर्ट ने आज अनुमति दे दी है. कोर्ट ने बिहार सरकार से कहा है कि शहाबुद्दीन को जेल में डाले और राजीव रौशन केस पर ट्रायल करे और जल्दी करे.
फैसला आने के बाद चंदा बाबू की आंखों से आंसू झलक आए और उन्होंने कहा कि मीडिया के कारण ऐसा हो सका. यदि मीडिया ने इस मुद्दे को नहीं उठाया होता तो शायद सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला नहीं आता. उन्होंने कहा कि कई पार्टियों ने उनका साथ दिया. मैं उनका धन्यवाद देना चाहता हूं. बिहार सरकार का भी सहयोग मिला.
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई के दौरान फिर सवाल किया कि राजीव रोशन हत्याकांड के 17 महीने बाद भी शहाबुद्दीन को आरोप-पत्र की प्रति क्यों नहीं मुहैया करायी गयी. राजीव अपने दो छोटे भाइयों की हत्या का चश्मदीद गवाह था, जिसकी हत्या अदालत में उसकी गवाही से कुछ ही दिनों पहले कर दी गयी थी.
16 अगस्त, 2004 को सीवान में दो सगे भाइयों गिरीश और सतीश राज को अगवा करने के बाद उनकी तेजाब से जला कर हत्या कर दी गयी थी. अब तक उनके शव नहीं मिले हैं. इस मामले में आरोप शहाबुद्दीन पर लगा था. इस केस के एकमात्र चश्मदीद गवाह तीसरा भाई राजीव रोशन था. टाउन थाना कांड के केस संख्या 220/2014 के मुताबिक 17 जून, 2014 को तीसरे भाई राजीव रोशन की भी गोली मार कर हत्या कर दी गयी थी. इसके बाद सीवान टाउन थाने में उसके पिता ने प्राथमिकी दर्ज करायी थी. प्राथमिकी में शहाबुद्दीन को हत्या की साजिश रचने का आरोपित बनाया गया. कहा गया कि चूंकि राजीव रोशन अपने दोनों भाइयों की हत्या का एकमात्र चश्मदीद गवाह था और वह गवाही देनेवाला था, इस कारण सीवान शहर में डीएवी कॉलेज के नजदीक मोटरसाइकिल पर सवार तीन लोगों ने उसकी गोली मार कर हत्या कर दी.