वेब डेस्क : बिहार के बाहुबली नेता और सीवान के पूर्व आरजेडी सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन को 11 साल बाद जेल से रिहा कर दिया गया है. पटना हाइकोर्ट से राजीव रोशन मर्डर केस में जमानत मिलने के बाद शहाबुद्दीन की भागलपुर जेल से रिहाई हुई. रिहा होते ही बाहुबली नेता शहाबुद्दीन ने कहा कि मैं अपनी इमेज बदलने की कोशिश नहीं करूंगा. पिछले 26 साल से लोगों ने मुझे इसी रूप में स्वीकार किया है. उन्होंने कहा कि मेरी रिहाई से राजनीति का कोई लेना -देना नहीं है, कोर्ट ने अपनी न्यायिक प्रक्रिया पूरी की है. ज्ञात हो राजद के बाहुबली नेता शहाबुद्दीन पिछले 11 साल से जेल में बंद थे.
शहाबुद्दीन जेल से बाहर निकलने के बाद 38 गाड़ियों के साथ सीवान रवाना हो गये हैं.अपनी नई फार्च्यूनर गाड़ी में सवार शहाबुद्दीन नवगछिया से होते हुए बड़हरिया के रास्ते सिवान रवाना हो गये. चार बार सांसद और दो बार विधायक रहे शहाबुद्दीन पर 49 अपराधों में जमानत मिल चुकी है.शहाबुद्दीन के काफिले में मुख्य लोगो में सिवान से जीरादेई के विधायक रमेश कुशवाहा, गिरधारी यादव, रघुनाथपुर विधयक हरिशंकर यादव, सहित कई नेता शामिल है.
जेल से बाहर निकलते ही समर्थकों ने जमकर नारेबाजी की. अहले सुबह समर्थकों का जुटना शुरू हो गया था. मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए शहाबुद्दीन ने कहा कि वो 13 साल बाद घर जा रहे हैं, बहुत खुश है. उधर शहाबुद्दीन ने कहा कि सारी दुनिया जानती है कि मैं किसके साथ हूं. उन्होंने कहा कि मेरे नेता लालू प्रसाद यादव हैं.उन्होंने कहा नीतीश कुमार परिस्थितियों के सीएम है. लालू यादव ही हमारे नेता है. कोर्ट ने मुझे जेल भेजा था वहीं कोर्ट ने मुझे रिहा किया. सुशील मोदी के बारे में जब मीडिया ने सवाल पूछा तो शहाबुद्दीन ने कहा ” मैं सुशील मोदी को गंभीरता से नहीं लेता”.
पूर्व सांसद ने कहा कि लंबे समय बाद लोगों के बीच जा रहा हूं। जनता उनकी दिशा और दशा तय करेगी। जनता ने ही जींस उतरवा कर सफेद कुर्ता पहनाया था। जनता चाहेगी तो फिर जींस पहन लूंगा।
शहाबुद्दीन से जब यह यह पूछा गया कि उनके जेल से निकलने पर जनता में भय का माहौल छाने लगा है, थोड़ा गंभीर होने के बाद उन्होंने जवाब दिया कि ऐसी बातें उनके राजनीतिक विरोधी कहा करते है। विरोधी खुद भय का माहौल तैयार करते हैं। इस आड़ में राजनीतिक रोटी सेकते हैं। जबकि सच्चाई इससे अलग होती है। उनके जेल से बाहर आने पर लोगों में खुशी का माहौल है।
उन्होंने सवाल किया कि क्या लंबी दूरी तक इस तरह से उनके स्वागत के लिए भयभीत लोग आएंगे। पूर्व सांसद ने सवालिया लहजे में कहा कि ऐसी बात नहीं, वह न्याय की लंबी लड़ाई लडऩे के बाद लोगों के बीच हैं।
25 साल की उम्र में पहली बार 1990 में शहाबुद्दीन चुनाव जीते. 1996 में पहली बार सांसद बने. एक युवक को तेजाब से जलाकर मारे जाने का आरोप था. 1986 में पहली बार शहाबुद्दीन पर अपराधिक मामला दर्ज हुआ था.
राज्य सरकार के कई मंत्री और विधायक भी शहाबुद्दीन की अगुवानी के लिए पहुंचे. भागलपुर जेल में बंद शहाबुद्दीन के स्वागत के लिए रात से ही समर्थक जेल के बाहर जमा थे. साल 2014 के राजीव रोशन हत्याकांड में शहाबुद्दीन को जमानत मिली है, जिसके बाद जेल से बाहर आने का रास्ता साफ हो गया था. राजीव रोशन 2004 में दो भाइयों गिरिश राज और सतीश राज की हत्या के मामले में गवाह था.