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लनामिविवि में मनाई गई बाबा साहेब की 63वीं महापरिनिर्वाण दिवस

दरभंगा : ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय द्वारा आज विश्ववविद्यालय के सभागार में बाबा भीमराव रामाजी अम्बेडकर के 63वीं महा परिनिर्वाण दिवस कुलपति प्रो. सुरेंद्र कुमार सिंह की अध्यक्षता में मनायी गई।

इस अवसर पर बाबा साहेब के बिचारो को लेकर एक व्याख्यान का आयोजन भी किया गया। इस अवसर पर चंद्रधारी मिथिला महाविद्यालय के राजनीति विज्ञान के अवकाश प्राप्त व्याख्याता प्रो. हरिश्चंद्र सहनी मुख्यवक्ता के रूप में बाबा के विचारों और आदर्शों की विवेचना करते हुए कहा कि अंबेडकर एक संविधान ही नहीं एक बदलते युग का, आने वाले नए अध्याय का, परिवर्तन हो रहे समाज का, भारत में बदल रहे विभिन्न शैक्षणिक कार्यों में हो रहे बदलाव का नाम है।

उन्होंने उनके जीवन आदर्शों के विषय में कहा कि ऐसा इंसान जो अपने जाति विशेष के कारण कई जगह उन्हें शर्मिंदगी एवं उनके द्वारा किए जा रहे शैक्षणिक कार्यों की अवहेलना को झेलना पड़ा, फिर भी उनके कदम समाज और देश हितों के लिए कभी नहीं रुके। जबकि उनके आदर्श गुरु एवं शिक्षा देनेवाले गुरु एक पंडित ही थे। भारत से लेकर इंग्लैंड तक उनके द्वारा किये गए कार्यों की सराहना मिलती रही। जहाँ वड़ोदरा महाराज द्वारा उन्हें विदेश भेजा जाना एवं अपने ज्ञान से इंग्लैंड के विश्ववविद्यालय में अपनी छाप छोड़ना कही न कही उनके मजबूत इक्षाशक्ति और फौलाद से इरादों को दिखाता है।

प्रो. सहनी ने कहा कि बाबा सिर्फ भारतीय संविधान के निर्माता एवं देश के पहले कानुन मंत्री ही नही बल्कि साफ छवि के पत्रकार भी थे जिसके तहत उन्होंने एक पाक्षिक समाचार पत्र “मूकनायक” (डंब हीरो) की स्थापना की। जिससे उन्होंने समाज मे होने वाले बदलावों और हो रहे परिवर्तन को दिखाने का प्रयास किया। अपने जीवनकाल में बाबा साहेब अम्बेडकर ने कई अच्छे कार्य तो किए ही वरण कई ऐसी बातें भी हमलोगों के बीच छोर गए जो आज भी प्रेरणात्मक है जैसे कि “बुद्धि का विकास मानव के अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए।” “जीवन लम्बा होने की बजाये महान होना चाहिए।” “मैं ऐसे धर्म को मानता हूँ जो स्वतंत्रता, समानता, और भाई-चारा सीखाये।” आदि आज भी उनके बहुमूल्य विचार समाज को एक स्तम्भ की तरह मजबूती प्रदान कर रहा है। प्रो. सहनी ने विश्ववविद्यालय द्वारा बाबा साहेब की पुण्यतिथि मनाए जाने को एक बेहतर आयोजन बताया जिससे विश्वविद्यालय के छात्र/छात्राओं को भी उनके जीवन दर्शन को जानने की इक्षा होगी जिससे उन्हें एक बेहतर इंसान बनने में मदद मिलेगा।

अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. सुरेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि किसी महान इंसान के व्यक्तित्व को समझना ही अपने आप में परिवर्तन करना होता है। प्रत्येक मनुष्य कहीं ना कहीं ऐसे महान व्यक्तित्व से जुड़ा होता है जिससे उनके ऊपर वह विचार प्रभावी होता है, उन्हीं में से एक हमारे संविधान निर्माता बाबा भीमराव अंबेडकर है । प्रो. सिंह ने कहा कि हम अपने जीवन को तब तक नहीं बदल सकते, जबतक तक कि हमारे ऊपर ऐसे आदर्श महापुरुषों का प्रभाव ना हो, बस हमें जरूरत है इनके बताए हुए विचारों पर चलना। उन्होंने कहा विद्या ही हमे विनय बनने में सहयोग करता है तथा कई प्रकार के मन की द्वन्दों एवं बंधनों से मुक्त करता है अतः आज के परिपेक्ष्य में यह नितांत आवश्यक है कि ऐसे महान विभूतियों को स्मरण करें एवं समाज को उनके द्वारा बताए हुए विचारों से आनेवाली नई पीढयों को सही रास्ता दिखाए। जहां आज प्रातः 10:30 बजे परिसर स्थित बाबा साहेब के प्रतिमा के साथ सभी प्रतिमाओं पर कुलपति महोदय के साथ-साथ पदाधिकारियों ने श्रद्धा सुमन अर्पित किया, वही दोपहर में व्याख्यान के प्रारंभ में अध्यक्ष, मुख्यवक्ता तथा पदाधिकारियों द्वारा बाबा साहेब की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई ।

कार्यक्रम में विकास पदाधिकारी डॉ. के.के साहु, परीक्षा नियंत्रक द्वितीय प्रो. अरुण कुमार सिंह, उप कुलसचिव प्रथम डॉ. राजीव कुमार, राष्ट्रीय सेवा योजना के डॉ. बिनोद बैठा, संगीत एवं नाट्य विभाग की डॉ. पुष्पम नारायण, महाराज कामेश्वर सिंह राज पुस्तकालय के निदेशक डॉ. भवेश्वर सिंह एवं कई विभाग में कर्मिगण उपस्थित थे। व्याख्यान में मंच संचालन परीक्षा नियंत्रक डॉ. अशोक कुमार मेहता ने तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रभारी कुलसचिव डॉ. विजय यादव ने किया।

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