दरभंगा। मिथिलांचल में शक्तिपीठ के रूप में पहचान रखने वाली ’’वाणेश्वरी भगवती स्थान’’ साधकों एवं आमलोगों के लिए श्रद्धा एवं आस्था का केंद्र बना है। प्रखंड मुख्यालय से महज 5 कि.मी. की दूरी पर अवस्थित है। साधकों को मनोवांछित फल देने वाली हजारों वर्ष पुरानी इस भगवती के संबंध में आम मान्यता है कि श्रद्धा से मिनती करने वाले लोग इस दरबार से खाली हाथ नहीं लौटते है। मंदिर के पुजारी बताते है कि करीब डेढ़ सौ वर्ष पूर्व इनके पूर्वज को भगवती ने स्पन में मंदिर के निकट गंधराइन पोखर मे रहने की जानकारी दी थी। इनके पूर्वज ने पोखर से निकालकर पीपल वृक्ष के नीचे रखकर इनकी पूजा-अर्चना आरंभ कर दी। धीरे-धीरे भगवती की महिमा इलाके में फैलने लगी। प्रचानी धरोहरों को पर्यटनस्थल के रूप में विकसित करने की सरकार की योजना में शामिल करने के लगातार प्रयास के बाद स्थानीय प्रशासन ने इस स्थान को पर्यटनस्थल के रूप में मान्यता देने की अनुशंसा कर दी है।
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