बिचौलियों को समाप्त कर किसानो को दिलाएंगे उचित मूल्य
राज प्रताप सिंह(उत्तर-प्रदेश राज्य प्रमुख)
लखनऊ। बख्शी का तालाब में जन ज्योति सेवा समिति के तत्वावधान मे शुक्रवार को किसानों की समस्यायों का हल निकालने के लिये एक संगोष्ठी की गई यह बैठक जीसीआरजी मेडिकल एंड इंजीनियरिंग
कालेज में बैठक हुई जिसकी अध्यक्षता करते हुए जन ज्योति सेवा समिति के अध्यक्ष डा0.अभिषेक यादव ने बताया कि हमारी संस्था की सोच है।कम लागत मे किसानों को अच्छी ऊपज तथा सही मूल्य मिल सके बढती आबादी के कारण दिन प्रतिदिन कृषि भू-भाग निरन्तर कम होने के कारण किसान की दशा बद से बदतर होती जा रही है। जिस किसान पर पूरी दुनिया फल-फूल रही है।वही किसान मजबूर से होता जा रहा है।जिसके सहारे पूरी दुनिया टिकी हुई है वही किसान आज दूसरों के सहारे पर मजबूर है।डॉ0.अभिषेक ने कहा कि मेंहनत किसान करता है। फायदा बिचौलिए का होता है।हम अपनी टीम के सहयोग से किसानो की उपज का उचित मूल्य दिलाने की कोशिश करेंगे तथा बिचौलिए को समाप्त करना चाहते है
डॉ0.अभिषेक यादव ने कहा कि उत्तम खेती के लिए प्रतिभावान युवकों को आगे आना होगा मैंने बचपन में एक कहावत सुनी थी की “उत्तम खेती मध्यम बान,चाकरी भीख निदान”। उस समय समझने की शक्ति कम थी जब समझ आई तो लगता है कि समय बहुत निकल चुका है।शेष बचा हुआ समय भी उपयोगी सिद्ध हो सकता है।
श्री यादव ने कहा की दुनिया प्रमुख रूप से तीन कार्यों में लगी हुई है।खेती व्यापार और नौकरी में लेकिन इन सब में खेती को उत्तम दर्जा क्यों दिया गया है।क्योंकि समस्त जीवन का आधार है तथा पर्यावरण और जैव विविधता के संरक्षण में भी यह सहायक है। खेती के समस्त जीव जगत का विचार है दूसरे नंबर पर व्यापार को माना गया है तथा तीसरे नंबर पर नौकरी को माना गया है उन्होंने कहा कि इस संगोष्ठी के बाद लोग देसी गाय बेचना बंद कर देंगे बल्कि उसे पालना शुरू कर देंगे जब गाय बिकेगी नहीं तो कटेगी नहीं और कत्लखाने स्वयं बंद हो जाएंगे इसी क्रम में कृषि नफासत और पोटास की जरूरत पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह दोनों पोषक तत्व बिना बाहर से डाले ही सताई पौधों को मिल जाता है या जीवाणुओं के माध्यम से मिलता है क्या सभी जीवाणु गायों के गोबर और मूत्र में बड़ी संख्या में उपलब्ध रहते हैं यदि खेती डीएपी और पोटाश के ऊपर से डालने से होती तो सभी जंगल सूख जाना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं है जंगल बिना डीएपी और पोटाश डाले बिना हरे भरे रहते हैं इसका मतलब है प्रकृति में या तत्व मौजूद रहते हैं। उन्हें जागृत करने की जरूरत है गाय के गोबर गोमूत्र से बने जीवामृत और घनजीवामृत से संभव है रासायनिक खादों को खेती में डालकर हम लोगों ने इन जीवाणुओं को या तो नष्ट कर दिया है या फिर भी कम होते चले गए।
जन ज्योति सेवा समिति के अध्यक्ष डा0. अभिषेक यादव ने कहा की हमारी मंशा है की किसानों की खेती को नयी और उन्नत शील तकनीकी के साथ अधिक आमदनी वाली फसलों को उगाने से संबंधित सम्पूर्ण जानकारी निःशुल्क उपलब्ध कराना है।
कम भूमि पर अच्छी खेती की किसानों को दी गयी कई अहम जानकारियां
1 – कम लागत मे मशरूम के ( बटन एवं ओईस्टर ) उत्पाद की जानकारी दी गई
2 – जैविक खाद ( केंचुआ एवं जीवाणु से निर्मित ) बाजार से कम लागत मे बनाने की जानकारी दी गई
3 – कृषि की नई उन्नत विधियों की जानकारी
4 – कम या ऊसर भूमि मे न्यूनतम लागत मे अधिक उत्पाद की जानकारी दी गई
5 – मशरूम एवं जैविक खाद के महारथियों से मुलाकात तथा जवाब सवाल किया गया