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जीवन में आवश्यकता को वरियता दिजिए, इच्छाओं को नहीं – देवी महेश्वरी जी

हनुमान जी को अपना गुरू बनाइए, वो आपको राम जी की शरण में लेकर जाएंगे – देवी महेश्वरी जी

लखनऊ ( सुखलाल ) : विश्व मंगल परिवार सेवा ट्रस्ट लखनऊ के तत्वावधान में पूज्या देवी महेश्वरी जी के सानिध्य में 27 मई से 02 जून 2019 तक, स्थान – शिव मंदिर, सी डी आर आई, नउवा खेड़ा, जानकीपुरम विस्तार, लखनऊ में श्रीराम कथा का आयोजन किया जा रहा है। श्री राम कथा के द्वितीय दिवस में सैकड़ों की तादाद में भक्तों ने कथा का श्रवण किया।श्रीराम कथा की शुरूआत श्रीरामचरित्रमानस की आरती के साथ की गई।
देवी महेश्वरी जी ने कथा की शुरूआत करते हुए कहा कि जेठ माह का बड़ा मंगलवार है, श्री हनुमान जी महाराज किस रस की प्राप्ति करना चाहते थे ? वो केवल और केवल भगवत नाम सुमिरन करना चाहते हैं। हनुमान जी को कुछ नहीं चाहिए उन्हे तो केवल रामचरित्र सुनना है। श्री हनुमान जी महाराज शंकर भगवान के रूद्र अवतार हैं और शंकर भगवान त्रिभुवन के गुरू हैं, स्वयं शंकर भगवान श्री हनुमान जी का रूप लेकर आए हैं, उनको अगर कुछ देना चाहते हो तो ज्यादा कुछ नहीं बस राम राम कर दिया करो इससे ही वो प्रसन्न होते हैं। देवी जी ने आगे कहा कि आप दे भी क्या सकते हो ? आपका यहां क्या है जो आप दोगे ? जिस रूपए को, घर को, बेटा – बेटी को आप अपना मानकर बैठे हो क्या वो आपका है ? आपका कुछ नहीं है सब उसका है इसलिए कहते हैं तेरा तुझको अर्पण, क्या लागे मेरा।देवी महेश्वरी जी ने आगे कहा कि जो भी तत्व ब्रह्मांड में है वो सब आपके शरीर में भी है। आप जब बैठते हो तो शिवलिंग की स्थिति बन जाती है, जो प्रकृति और पुरूष के मिलन को दर्शाता है वो शिवलिंग है। अर्घ बहनों का प्रतिक है लिंग पुरूष का प्रतिक है इसलिए वो शिवलिंग कहलाता है।

प्रकृति और पुरूष दोनों साथ में हैं, कभी भी प्रकृति और पुरूष अलग नहीं होते और यदि प्रकृति अलग हो जाएगी तो पुरूष का कोई अस्तित्व नहीं रह जाता, वो पुर्णता तभी प्राप्त होता है जब प्रकृति से उसका मिलन होता है। देवी जी ने कहा कि कलयुग में भक्तों की बहुत महिमा है, अगर आप देखोगे तो पाओगे की कलयुग सबसे पुण्यसालियों का युग है। लोग कहते हैं हमारा मन भक्ति करने में नहीं लगता लेकिन जब आपका मन लग जाएगा ना तो आपको नशा हो जाएगा। आप कार्य किजिए, पैसा कमाइए, पैसा कमाने को किसी ने मना नहीं किया है लेकिन अपने जीवन में भक्ति को मत छोडिए, जो कुछ भी आप करते हो उसे पकड़ कर रखना है। जीवन में आवश्यकता को वरियता दिजिए, इच्छा को नहीं, ये जो इच्छा है यह बेहद खतरनाक है, इच्छाएं कभी समाप्त नहीं होती है। देवी जी ने कहा कि हनुमान जी का कीर्तन करने से हनुमान जी प्रसन्न नहीं होते। हनुमान जी अगर प्रसन्न होते हैं तो राम जी के नाम से होते हैं। उनकी भक्ति अगर जीवन में चाहिए तो समाज के पाखंड में मत पड़ो, समाज के लोगों ने एक से एक नियम बना रखे हैं। देवी जी ने आगे कहा कि जीवन में अगर आपके गुरू हैं तो अच्छी बात है और यदि नहीं है तो श्री हनुमान जी महाराज आपके गुरू हैं। आप हनुमान जी को अपना गुरू बनाइए, जब आप उनको अपना गुरू बना लेंगे तो वो सीधे आपको राम जी को चरणों में लेकर जाएंगे। गुरूदेव को दक्षिणा भी नहीं चाहिए केवल “रामचरित्र सुनिबे को रसिया”, इसका परिणाम ये होता है की “राम लखन सिता मन बसिया” ।

आजकल के गुरू चाहते हैं की उनका चेला उनका नाम उनसे पहले लगा ले, आप अपने गुरू से चमत्कार की आशा मत लगाओ, अगर सच्चा गुरू है तो भगवत नाम की प्रेरणा देगा, भजन की प्रेरणा देगा, आपके ऊपर हाथ रख देगा आपका कवच बना रहेगा। हमे कोई अच्छा लगता है तो हम दीक्षा ले लेते हैं लेकिन दीक्षा लेने से पहले उसके महत्व को समझिए। दीक्षा जब हमारे जीवन में आती है तो आपके जीवन में सरलता आ जाती है, कपट चला जाता है, जाते तो हो मैले कुचैले विचार लेकर लेकिन लौटते हो दीक्षा का मंत्र लेकर तो वो बुराई झुलसने लगती है और आपका मन भक्ति में लग जाता है। कुछ लोग ऐसे ही गुरू मंत्र ले लेते हैं, इससे कुछ नहीं होता। अगर गुरू मंत्र लिया है तो उसका जाप करो, ध्यान करो, आप धीरे धीरे आगे बढ़ते चले जाएंगे, आपका ध्यान बढ़ता चला

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