आज से सुरु होगा नया सत्र गंदगी में पढ़ेंगे देश के भविष्य
राम किशोर रावत (माल/लखनऊ) :: माल विकासखंड क्षेत्र के दर्जनों परिषदीय स्कूलों के लिये सरकार का स्वच्छता और स्कूल चलो अभियान कोई मायने नहीं रखता।यहां अधिकांश गावों के स्कूलों में न ही साफ सफाई कराई गयी और न ही स्कूल चलो अभियान के तहत रैलियों का ही आयोजन किया गया।जबकि खण्ड शिक्षा अधिकारी संतोष कुमार मिश्रा सभी स्कूलों में विधिवत साफ सफाई होने का दावा करते हैं।विकास खंड में कुल एक सौ नब्बे परिषदीय विद्यालय संचालित हैं।
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जिनमें एक सौ इकतालीस प्राथमिक और उनचास पूर्व माध्यमिक विद्यालय है।जो सोमवार से पढ़ाई के लिये खुल रहे हैं।सरकार ने निर्देश जारी किया था कि विद्यालय खुलने से पहले गांवों में स्कूल चलो अभियान की रैलियां आयोजित करने के निर्देश के साथ स्कूलों की साफ सफाई एक दिन पहले कराये जाने के निर्देश जारी किया था,जो क्षेत्र के जिम्मेदारों के लिये हवा हवाई साबित हुआ ।इस संवाददाता ने कई स्कूलों की पड़ताल की तो न ही वहां साफ सफाई दिखी न ही स्कूल चलो अभियान के तहत रैलियों का आयोजन किया गया।रनीपारा के प्राथमिक और पूर्व मा0 विद्यालय परिसरों में साफ सफाई तो दूर घास खड़ी थी।हरिहरपुर स्थित विद्यालय में भी पेंडो के पत्ते बिखरे पड़े थे।पारा भदराही पंचायत के सुरती खेडा स्कूल परिसर जंगल जैसा नजरा है।भदराही में शौचालय में गंदगी का अंबार दिखा।देखने से लगा कि गेट का ताला ही नहीं खोला गया है।जबकि चंदवारा पंचायत के पूर्व माध्यमिक विद्यालय परिसर भी जंगल का रूप लिये हुये है।यह तो मात्र बानगी भर हैं।जिम्मेदारों ने शायद पुराने हिसाब से जब स्कूल खुलेंगे तो बच्चों से सफाई कराने का मंसूबा बनाये हुये हों जिससे सरकारी निर्देश को अनसुना कर रहे हों।जबकि क्षेत्र के विद्यालयों में परिसर में खड़ी घास ऐसा लगता है कि जंगल बना हो प्राथमिक विद्यालय का परिसर तथा अधिकांश विद्यालयों में बने शौचालयों की दशा तो है कि खुद गंदगी से पटे पड़े हुए हैं। जिन की साफ सफाई आज तक नहीं की गई।
क्या कहा है शिक्षा विभाग के जिम्मेदार
खंड शिक्षा अधिकारी संतोष कुमार मिश्रा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि सारे विद्यालयों की साफ सफाई की जा चुकी है जब यह पूछा गया कि प्राथमिक विद्यालय सुरती खेड़ा व पूर्व माध्यमिक विद्यालय मैं तो आज भी परिसर जंगल में तब्दील है तो कहा कि ऐसा नहीं है। हो सकता हो किकोड़ा किसी कोने में लगा हो। खंड शिक्षा अधिकारी को किसी भी विद्यालय में जाकर जमीनी हकीकत देखने की फुर्सत ही नहीं है। जब विद्यालय खुलने से पहले ही खंड शिक्षा अधिकारी इस तरह हवा में तीर मार रहे तो किस तरह से शिक्षकों को बचाते होंगे इसका तो अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है।
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