दरभंगा : न्यायिक अवधारणा के अनुकूल अर्थाभाव में न्याय पाने से कोई भी वंचित न हो, इसके लिए आवश्यक है कि पंश्चिम बंगाल, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश राज्य की भांति ही बिहार प्रान्त में भी हाईकोर्ट के अतिरिक्त सिविल रिवीजन सुनने का अधिकार बिहार के सभी जिला जज को भी सरकार सीपीसी में एमेडमेंट कर प्रदान करें।
उक्त बातें शनिवार को आॅल इण्डिया लॉयर्स यूनियन दरभंगा शाखा की ओर से दरभंगा बार एसोसिएशन भवन में आयोजित सेमिनार को संबोधित करते हुए बतौर मुख्य वक्ता दिवानी मामले के अधिवक्ता बैद्यनाथ झा ने कही।
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उन्होंने कहा कि हमेशा बाढ़-सुखाड़ से ग्रसित बिहारवासियों को सस्ता, सुलभ और त्वरित न्याय तभी मिलेगी, जब यहाँ के सभी जिला जज को भी सिविल रिवीजन सुनने का अधिकार सरकार दे, ताकि गरीब लोगों तक न्याय की पहुंच हो सके।
बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रविशंकर प्रसाद ने कहा कि गरीबी और अर्थाभाव के कारण बिहार के लोग सब जज और मुंसिफ द्वारा पारित कतिपय आदेश के खिलाफ न्याय पाने हेतु हाईकोर्ट नहीं जा पाते हैं। यदि फौजदारी के समान सिविल रिवीजन की सुनवाई जिला जज के यहाँ हो जाये तो एक भी न्याय याचक अर्थाभाव में न्याय से वंचित नहीं होंगे।
महासचिव कृष्ण कुमार मिश्र ने कहा कि सिविल मामले में रिवीजन सुनने का अधिकार जिला जज को भी मिलना चाहिए।
इस मौके पर पूर्व अध्यक्ष अंबर इमाम हासमी, पूर्व पीपी कौशर इमाम हासमी, सत्यनारायण यादव, प्रियरंजन, कैलाश लाभ,मनमोहन साह,संजय झा,कौशल किशोर चौधरी,बिनय चन्द्र चौधरी, अरुण कुमार मिश्र,किरण कुमारी, रेणु झा,संतोष कुमार झा,रजा मुराद, उदय लाल देव आदि ने संबोधित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सेमिनार का संयोजक राजीव रंजन ठाकुर उर्फ बाला जी ने की।