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छह माह के बाद शिशुओं को जरुर दें अनुपूरक आहार

• बाल कुपोषण रोकने में अनुपूरक आहार की अहम भूमिका
• बेहतर शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिए जरुरी
• आंगनबाड़ी केन्द्रों में अन्नप्रासन एवं टीएचआर के जरिए अनुपूरक आहार पर बल

दरभंगा. बाल कुपोषण को कम करने में अनुपूरक आहार की अहम भूमिका होती है. छह माह तक शिशु का वजन लगभग दो गुना बढ़ जाता है एवं एक वर्ष पूरा होने तक वजन लगभग तीन गुना एवं लम्बाई जन्म से लगभग डेढ़ गुना बढ़ जाती है. जीवन के दो वर्षों में तंत्रिका प्रणाली एवं मस्तिष्क विकास के साथ सभी अंगों में संरचनात्मक एवं कार्यात्मक दृष्टिकोण से बहुत तेजी से विकास होता है. इसके लिए अतिरिक्त पोषक आहार की जरूरत होती है. इसलिए 6 माह के बाद शिशुओं के लिए स्तनपान के साथ अनुपूरक आहार की जरूरत होती है.

अन्नप्रासन एवं टीएचआर के जरिए अनुपूरक आहार पर बल:

केयर इंडिया के डॉ श्रद्धा झा ने बताया 6 माह के बाद स्तनपान के साथ अनुपूरक आहार की जरूरत होती है. इस दौरान शिशु के शरीर एवं मस्तिष्क का तेजी से विकास होता है. इसे ध्यान में रखते हुए सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों पर माह में एक बार अन्नाप्रसन दिवस आयोजित किया जाता है. इस मौके पर 6 माह के शिशुओं को अनुपूरण आहार खिलाया जाता है. साथ ही उनके माता-पिता को इसके विषय में जानकारी दी जाती है. इसके अलावा सभी आंगनवाडी केन्द्रों पर हर माह टी.एच.आर. यानि टेक होम राशन का वितरण किया जाता है, जिसमें 6 महीने से 3 वर्ष के शिशुओं के लिए चावल,दाल,सोयाबड़ी अथवा अंडा लाभार्थियों लो उपलब्ध कराया जाता है. साथ ही इस राशन से अनुपूरक आहार बनाने के विषय में जानकारी भी दी जाती है.

आहार में इसे करें शामिल :

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद् से अनुशंसित राष्ट्रीय पोषण संस्थान(हैदराबाद) द्वारा जारी की गयी आहार दिशा निर्देश के अनुसार शिशु के लिए प्रारंभिक आहार तैयार करने के लिए घर में मौजूद मुख्य खाद्य पदार्थों का उपयोग किया जा सकता है. सूजी, गेहूं का आटा, चावल, रागा, बाजरा आदि की सहायता से पानी या दूध में दलिया बनाया जा सकता है. बच्चे की आहार में चीनी अथवा गुड को भी शामिल करना चाहिए क्योंकि उन्हें अधिक ऊर्जा की जरूरत होती है. 6 से 9 माह तक के बच्चों को गाढे एवं सुपाच्य दलिया खिलाना चाहिए. वसा की आपूर्ति के लिए आहार में छोटा चम्मच घी या तेल डालना चाहिये. दलिया के अलावा अंडा, मछली, फलों एवं सब्जियों जैसे संरक्षक आहार शिशुओं के विकास में सहायक होते हैं.
इन बातों का रखें ख्याल:
• 6 माह बाद स्तनपान के साथ अनुपूरक आहार शिशु को दें
• स्तनपान के अतिरिक्त दिन में 5 से 6 बार शिशु को सुपाच्य खाना दें
• शिशु को मल्टिंग आहार(अंकुरित साबुत आनाज या दाल को सुखाने के बाद पीसकर) दें
• माल्टिंग से तैयार आहार से शिशुओं को अधिक ऊर्जा प्राप्त होती है
• शिशु यदि अनुपूरक आहार नहीं खाए तब भी थोडा-थोडा करके कई बार खिलाएं

क्या कहते हैं आंकडें:

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-4 के अनुसार जिले में 6 माह से 8 माह तक 32 प्रतिशत बच्चे है जिन्हें स्तनपान के साथ पर्याप्त आहार प्राप्त होता है. वहीँ 6 माह से 23 माह के बीच कुल केवल 4 प्रतिशत बच्चे हैं जिन्हें पर्याप्त आहार प्राप्त होता है.

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