दरभंगा. बिहार कैबिनेट से सेवाशर्त पास होने के बाद से ही आम शिक्षक का आक्रोश भड़क उठा है। शिक्षक इस उम्मीद में थे कि चुनावी वर्ष में उन्हें सरकार से कुछ बेहतर मिलेगा। शिक्षको को पेंशन, ग्रेच्युटी, ऐच्छिक स्थान्तरण, राज्यकर्मी का दर्जा मिलने की पूरी उम्मीद थी लेकिन सरकार ने उनके इस उम्मीद पर पानी फेरते हुए उन्हें इनसे वंचित रखा। इससे शिक्षको का आक्रोश भड़क गया और वे सेवाशर्त के विरोध में सड़कों पर उतरने लगे।
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बिहार राज्य प्रारम्भिक शिक्षक संघ ने राज्यव्यापी आह्वान करके सभी प्रखण्ड मुख्यालयों पर सेवाशर्त की प्रति जलाकर अपना विरोध किया। संघ के कार्यक्रम को बिहार राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ गोपगुट और टीईटी एसटीईटी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ गोपगुट ने अपना समर्थन प्रदान किया। संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष सह जिलाध्यक्ष शम्भू यादव के नेतृत्व में स्थानीय नगर बीआरसी के प्रांगण में सेवाशर्त की प्रतियां जलाई गई।
मौके पर उपस्थित संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष सह जिलाध्यक्ष शम्भू यादव ने बताया की सरकार ने इस सेवाशर्त में कुछ नया नही दिया है। जबकि पहले स देय लाभों में थोड़ा बहुत संसोधन करके उसे प्रस्तुत किया है। और विडम्बना देखिये की दो से तीन बिंदु को जोड़ने में उसे पांच साल लग गए। सरकार को पांच साल में शिक्षकों की याद एकबार भी नही आई और अब चूंकि चुनाव सिर पर है तो वह झुनझुना थमाकर अपनी नैया पार करना चाहती है। बगैर पेंशन, ग्रेच्युटी, ऐच्छिक स्थान्तरजनण, राज्यकर्मी के दर्जा के इस सेवाशर्त का कोई औचित्य नही रह जाता है।हमारी लड़ाई नियमित शिक्षको के भांति सेवाशर्त और वेतनमान की है और उससे कम हमे कुछ भी मंजूर नही है।अभी भी वक्त है सरकार दरियादिली दिखलाए और शिक्षको को उनके मुल अधिकार प्रदान करे अन्यथा बिहार के चार लाख शिक्षक आंदोलन के लिए बाध्य होंगे और आगामी चुनाव में अपने अपमान का बदला लेंगे।
वही बिहार राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ गोपगुट के जिला संयोजक नंदन कुमार सिंह ने बताया की सरकार ने अठत्तर दिनों के ऐतिहासिक सँघर्ष और सैकड़ो शिक्षको के बलिदान के साथ क्रूर मजाक करते हुए समाज के गरीब वंचित बच्चों की शिक्षा के साथ खिलवाड़ किया है। सरकार के द्वारा दिया गया सेवाशर्त हमे कतई स्वीकार्य नही है और जबतक शिक्षको को उनका मूल अधिकार नही मिल जाता तबतक हमलोग चुप्प नही बैठेंगे।सरकार ने आश्वस्त किया था कि लॉकडाउन के बाद वह शिक्षको के प्रतिनिधि से वार्ता करेगी लेकिन वह भी नही की। सरकार ने न केवल शिक्षक बल्कि आंदोलन का मजाक उड़ाया है जिसका खामियाजा उसे भुगतना होगा। वही टीईटी एसटीईटी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ गोपगुट के सोनू मिश्रा ने बताया कि बिहार में अगर किसी नर सबसे ज्यादा धोखा खाया है तो वह है बिहार के नियोजित शिक्षक। आज समाज का कोई भी युवा नियोजित शिक्षकों की दुर्दशा देखकर शिक्षक नही बनना चाहता है और अगर कोई बनता भी है तो चॉइस से नही चांस से। समाज को भी यह समझना होगा कि जब शिक्षक ही खुश नही रहेंगे तो समाज कैसे खुशहाल होगा। बच्चों को अधिकार एवं कर्तव्य की शिक्षा देनेवाले शिक्षक अपने अधिकारों के लिए निरन्तर संघर्षरत रहे है और अगर वही अपने अधिकार से वंचित रहेँगे तो समाज को उसका अधिकार कैसे मिलेगा। सरकार से हम अनुरोध करते है कि शिक्षको की मांगों को पूरा करे। अगर सरकार हमारी मांगो को पूरा नही करती है तो हमलोगो का आंदोलन जनान्दोलन के रूप में परिवर्तित होगा।
मौके पर संतोष यादव, नन्द किशोर लाल देव,संतोष पासवान, चन्द्रभानु सिंह, संकलित पासवान, शोभाकांत शर्मा,पवन कुमार,वीरेंद्र कुमार गुप्ता, मुकेश कुमार राय, आनंद कुमार राय,संजीत राय उपस्थित रहे।
वहीं बीते बुधवार को भी टीईटी एसटीईटी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ गोपगुट के राज्यव्यापी आह्वान पर दरभंगा जिला के शिक्षकों ने स्थानीय कर्पूरी चौक पर सामाजिक दूरी का पालन करते हुए सेवाशर्त की प्रति को जलाए।
बुधवार को बिहार राज्य प्रारम्भिक शिक्षक संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष सह जिलाध्यक्ष शम्भू यादव ने कहा कि बगैर पेंशन, ग्रेच्युटी के इस सेवाशर्त का कोई अर्थ नही रह जाता है। सरकार को चाहिए कि वह तुरंत हमे राज्यकर्मी का दर्जा देते हुए राज्यकर्मी को मिलने वाली सभी सुविधाएं उपलब्ध करवाए।सरकार लगातार शिक्षको को ठगने का काम कर रही है। यह सेवाशर्त ठीक उसी प्रकार से है जैसे पुराने सामान पर नई पैकेजिंग करके बेचना। वही बिहार राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ गोपगुट के जिला संयोजक नन्दन कुमार सिंह ने पुरुष शिक्षको को ऐच्छिक स्थान्तरण नही देने पर अपना विरोध प्रकट किया।और उनका कहना हुआ कि दो हजार बारह नियमावली में तनिक क्षणिक संसोधन करके सरकार ने बिहार के करोड़ो जनता के आंखों में धूल झोंकने का काम किया है। सभी प्रतिनिधियों ने एकस्वर में सरकार के विरुद्ध सड़क और सदन की लड़ाई तेज करने की बात कही।