राज प्रताप सिंह, लखनऊ ब्यूरो। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने न्यायालय का समय बरबाद करने के लिए प्रमुख सचिव वन विभाग पर 25 हजार रुपये का हर्जाना लगाया है। इसके साथ ही न्यायालय ने स्पेशल टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स सेवा नियमावली को तैयार कर, कैबिनेट अप्रूवल के लिए भेजने के लिए सम्बंधित विभागों को तीन माह का समय दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति मुनीश्वर नाथ भंडारी और न्यायमूर्ति मनीष कुमार की खंडपीठ ने सतीश कुमार मिश्रा की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया।
याचिका में न्यायालय दुधवा टाइगर रिजर्व के जानवरों की सुरक्षा के मद्देनजर सुनवाई कर रहा है। पिछली सुनवाई पर सेवा नियमावली की प्रक्रिया पूर्ण करने के लिए वन विभाग की ओर से समय मांगा गया था जिसे मंजूर करते हुए, न्यायालय ने साफ कहा था कि प्रक्रिया पूर्ण न होने की दशा में प्रमुख सचिव व चीफ कंजर्वेटर को हाजिर होना होगा।
इस बार मामले की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने पाया कि न तो नियमावली की प्रक्रिया पूर्ण हुई है और न ही प्रमुख सचिव कोर्ट में उपस्थित हैं। न्यायालय को बताया गया कि वह विधान सभा में व्यस्त हैं। इस पर न्यायालय ने जब अवमानना नोटिस देने की बात कही तो पुनः न्यायालय को बताया गया कि वह रास्ते में है लिहाजा मामले को डेढ घंटे बाद सुना जाए। इस पर न्यायालय ने नाराजगी जाहिर की और कहा कोर्ट अधिकारियों के अनुसार नहीं चलती, उन्हें मामले की सुनवाई के दौरान हाजिर रहना था। न्यायालय ने इन टिप्पणियों के साथ डेढ घंटे का समय इस शर्त पर दिया कि कोर्ट का वक्त बर्बाद करने के लिए प्रमुख सचिव हर्जाने के तौर पर 25 हजार रुपये राज्य विधि सेवा प्राधिकरण, लखनऊ में 15 दिनों के भीतर जमा करेंगे
डेढ घंटे बाद मामला पुनः सुनवाई के लिए आया तो प्रमुख सचिव ने बताया कि अन्य विभागों जैसे वित्त, कार्मिक, गृह, विधि व न्याय की भी इस प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका है। वन विभाग के सभी प्रयासों के बावजूद प्रक्रिया अब तक पूर्ण नहीं हो पाई। कहा गया कि तीन महीने में सम्बंधित सभी विभागों से संस्तुति लेने के पश्चात प्रक्रिया पूर्ण करके, नियमावली के अप्रूवल के लिए कैबिनेट को भेज दिया जाएगा। न्यायालय ने तीन माह का समय मंजूर करते हुए, मामले की अगली सुनवाई तीन माह बाद करने का निर्देश दिया है।