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मदरसा हमीदिया किलाघाट में ऑल इण्डिया मुशायरा एवं कवि सम्मेलन आयोजित

डेस्क। दरभंगा अलमंसूर एजुकेशनल एण्ड वेलफेयर ट्रस्ट तथा उर्दू दैनिक कौमी तंजीम के संयुक्त तत्वावधान में रविवार की रात मदरसा हमीदिया किलाघाट में आल इण्डिया मुशायरा एवं कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया.

इसका उद्घाटन पूर्व केन्द्रीय राज्य मंत्री मो.अली अशरफ फातमी,उक्त अखबार के मुख्य संपादक एस एम अशरफ फरीद,बीपीएससी के पूर्व अध्यक्ष इम्तियाज अहमद करीमी एवं संपादक एस एम तारिक फरीद ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया. उसके बाद मुशायरा की शुरुआत हुई जो कभी हंसी ठहाके के दरमियान रात भर शबाब पर रही तो कभी-कभी प्रस्तुतियों पर आंखें भी नम होती रहीं.

प्रस्तुत है शायरों,कवियों तथा कवित्रियों की कुछ पंक्तियां जिसे श्रोताओं ने खूब सराहा तथा दाद दिया. जबलपुर से आई कवित्री मनिका दुबे की पंक्ति हाल दिल का छिपाना नहीं आएगा,कौन तुम सा तराना नहीं गाएगा,आज मुस्कान की तुमने तारीफ की,अब मेरा मुस्कुराना नहीं जाएगा. इसके अलावा उन्होंने अपने काफी ट्रेंड हो रही रचनाओं की भी शानदार प्रस्तुति किया.

मुंबई से आए शायर शकील आज़मी की पंक्तियां हर घड़ी चश्मे खरीदार में रहने के लिए, कुछ हुनर चाहिए बाजार में रहने के लिए, अब तो बदनामी से शोहरत का वो रिश्ता है के लोग,नंगे हो जाते हैं अखबार में रहने के लिए के अलावा कई गजलें तथा रामायण से लिए गए किरदार उर्मिला तथा अहिल्या पर आधारित रचना प्रस्तुत किया जिसे काफी सराहा गया, हास्य रस एवं व्यंग के कवि दमदार बनारसी ने अपनी प्रस्तुति से श्रोताओं को खूब लोटपोट कराया.

इनकी पंक्तियां बिना किए अगर किसानों का सत्कार जाओगे,गलतफहमी में मत रहना की बाजी मार जाओगे, कोलकाता की बुजुर्ग शायर हलीम साबिर की पंक्तियां अब ऐसे प्यासे जहां में कभी ना आएंगे,कि जिनकी प्यास को दरिया सलाम करता था, अशरफ याकूबी की पंक्ति तेरी मुट्ठी में मेरी जान है क्या,खुदा होना बहुत आसान है क्या,परिंदों में यह चर्चा हो रहा है,दरिंदों में कोई इंसान है क्या

निकहत अमरोहवी की पंक्तियां रास्तों का गुबार देखूंगी,मैं तेरा इंतजार देखूंगी,अपनी तस्वीर भेज दे मुझको,मैं तुझे बार-बार देखूंगी, स्थानीय कवित्री भारतीय रंजन कुमारी की पंक्ति मैंने की है नहीं खता कोई,बेसबब दे रहा है सजा कोई तथा हिमांशी बावरा की पंक्तियां मेरी खुशबू को हवाओं में उड़ाने वाला,लौट कर आया नहीं छोड़ के जाने वाला तथा आपबीती कोई समझे तो बताऊं मैं भी,मुझको सुनना कोई चाहे तो सुनाऊं मैं भी को श्रोताओं ने काफी सराहा.

इनके अलावा कोलकाता के शायर डॉ अहमद मेराज,परवेज कासमी,जीशान भागलपुरी,आसिफ हिंदुस्तानी,गुले सबा फतेहपुरी,गुफरान अशरफी, झारखंड की रौशन हबीबा, मनोज मुंतशिर,अनवर आफाकी,एम ए सारिम,अनवर कमाल,मुश्ताक इकबाल,जुनेद आलम आरवी,डॉ मुनव्वर आलम राही,मोईन गिरीडीहवी तथा अशरफ मौलानगरी की रचनाएं काफी पसंद की गई.

मुशायरा की अध्यक्षता एस एम अशरफ फरीद कर रहे थे जबकि मंच संचालन में अपने अदबी और साहित्यिक तिलिस्मात का एहसास इरशाद मालेगांवी ने कराने में कोई की नहीं रखी.उन्हें भी काफी सराहना मिली.मुशायरा में उर्दू साहित्य से जुड़ी चार पुस्तकों का विमोचन अतिथियों के हाथों से हुआ.

मौके पर अतिथियों के अलावा कई अन्य लोगों को भी सम्मानित किया गया.दिन के सत्र में विभिन्न विद्यालयों के करीब 300 छात्र-छात्राओं को मेडल तथा प्रशस्ति पत्र देकर प्रोत्साहित किया गया.कार्यक्रम को सफल बनाने में संयोजक मंसूर खुश्तर एवं उनके सहयोगी काफी सक्रिय थे.

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