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पढ़ाई की उम्र में कर रहे बाल श्रम, जिम्मेदार मौन

  • होटलों,मन्दिरों व ढाबों पर चाय व खाने के बर्तनों को साफ करते हैं मासूम

बीकेटी/लखनऊ (राज प्रताप सिंह) : सरकार बाल श्रमिकों के हित में कई कार्यकारी योजनाएं संचालित कर रही है।जन मासूमों के हाथों में काफी किताबें पेन होनी चाहिए उन्हीं मासूमों के हाथों में कूड़ा बीनते जूता साफ करते मन्दिरों पर मजदूरी पर प्रसाद बेंचते व होटलों पर चाय व खाने के बर्तनों को साफ करते देखे जा सकते हैं। जिसके बदले में उन्हें एक वक्त का खाना व कुछ पैसे मात्र मिल जाते है। किंतु कुछ जगहों पर काम में किसी भी प्रकार की गलती होने पर इन मासूमों पर उनके मालिकों द्वारा इन्हें कड़ी प्रताड़ना भी दी जाती है।

जिसमें बाल श्रम विभाग के अधिकारी तथा कर्मचारी क्षेत्र के आसपास स्थित फैक्ट्री और ढाबों,होटलों,ईंट भटठा,मन्दिरों आदि जगहों पर काम करने वालों बाल श्रमिकों के लिए कोई कार्यवाही न कर मात्र कागजी कार्यवाही कर सारे मामले को निपटाने में लगे रहते हैं।जबकि विभागीय अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक पूरे राजधानी से लेकर तहसीलों में पडने वाले प्रतिष्ठानों में जब कभी ही सही पर छापेमारी कर कार्रवाई करना तो दूर उन प्रतिष्ठानों पर यही अधिकारी बाल श्रमिकों के हाथों चाय पकौड़े उड़ाते हैं।सूत्रों की मानें तो अधिकारी शिवाय औपचारिकता निभाने के अलावा कुछ नहीं करते हैं। जब मामला किसी प्रतिष्ठित प्रतिष्ठान का होता है तो यह लोग हर मामले में मालिक से सांठगांठ कर सारी कार्यवाही को मात्र औपचारिकता मैं निपटाते रहते हैं।जिसके चलते इन मासूमों का भविष्य अंधकार में होता रहता है। और जिम्मेदार मौन धारण किए रहते हैं।

  • होटल,ढाबों पर मासूमों को मिलता है छोटू नाम

होटल ढाबों पर काम करने वाले बाल श्रमिकों को एक नाम भी दिया जाता है।वहां पर आने वाला ग्राहक उन्हें छोटू के नाम से पुकारता है। यही जरा सी भी गलती होने पर होटल व ढाबा मालिकों द्वारा इनकी पिटाई भी कर दी जाती है।वहीं विभागीय जिम्मेदार इस बात से इनकार करते हैं। कि कोई बाल श्रमिक कार्य नहीं कर रहे हैं।जबकि होटल व ढाबों पर जाकर हकीकत स्वयं भी देखी जा सकती है। अधिकांश स्थानों पर बाल श्रमिक ही झूठे बर्तन धोते या फिर चाय पानी देते हुए देखे जा सकते हैं। इतना ही नहीं कस्बा व ग्रामीण क्षेत्र में संचालित होने वाले ईंट भठ्ठों पर भी बाल श्रमिकों को मजदूरी करते हुए देखा जा सकता है।उसके बाद भी जिम्मेदार इस और ध्यान देने को तैयार नहीं है।

  • सर्व शिक्षा अभियान के तहत किया जाता है जागरूक

सरकार की ओर से सरकारी स्कूलों में शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्रों को काँपी किताबें व खाना मुक्त मिलने के साथ ही जूता मोजा देने का निर्देश भी है।ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यालयों के शिक्षकों द्वारा शिक्षा सत्र के आरंभ होने से पूर्व ही रेलियां निकाल कर छात्र व उनके अभिभावकों को जागरुक करने का कार्य किया जाता है। सभी को प्रेरित किया जाता है। कि वह अपने बच्चों को विद्यालय अवश्य भेजें उसके बाद भी अधिकांश बच्चे विद्यालय नहीं जाते हैं।और वह होटल व ढाबों पर बाल श्रम करते हुए देखे जा सकते हैं।

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