लखनऊ ब्यूरो (राज प्रताप सिंह) :: राज्यसभा सांसद व आम आदमी पार्टी के यूपी प्रभारी संजय सिंह ने कहा है कि प्रदेश में कानून व्यवस्था का सच सामने आ गया है। पुलिस के सामने पूर्व विधायक की हत्या कर दी गई। इस मामले में सीओ की भूमिका संदिग्ध है। इसकी उच्चस्तरीय जांच करवानी चाहिए और उनके परिवार को एक करोड़ रुपए का मुआवजा देना चाहिए। उन्होंने राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि विधायक के परिवार से मिलकर लौटते समय उन्हें गैरकानूनी तरीके से हिरासत में लिया गया और धमकियां दी गईं।
संजय सिंह रविवार को पूर्व विधायक के परिवार से मिलने लखीमपुर खीरी गए थे। सोमवार को लखनऊ में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि जब मैं विधायक के परिवार से मिलकर वापस लौट रहा था तो सीतापुर में अटरिया में मेरे पीछे पुलिस लगा दी गई। गाड़ी में इंस्पेक्टर बैठा दिया गया और एक गेस्ट हाउस में ले जाकर रोक दिया गया। मेरे साथ बदसलूकी की गई और मेरे घर पर पुलिस भेजी गई। मेरी पत्नी को फ़ोन करके एक पुलिस अधिकारी ने धमकाने की कोशिश की।
उन्होंने कहा कि यह राजनैतिक लड़ाई है। इसमें परिवार के ऊपर कार्रवाई नहीं होनी चाहिए। उन्होंने फिर यूपी में ब्राह्मणों, दलितों और पिछड़ों के ऊपर अत्याचार का आरोप लगाया और कहा कि जब मैं इस मामले को उठा रहा हूं तो मेरे खिलाफ 12 मुकदमें दर्ज हो गए हैं। मेरा कार्यालय बंद करवाया जा रहा है और मुझे नोटिस भेजकर धमकी दी जा रही है। दिल्ली विधानसभा में मुख्य सचेतक दिलीप पांडेय ने कहा कि किसी पीड़ति परिवार से मिलने में ऐसा क्या अपराध कि राज्य सरकार को एक राज्यसभा सांसद को आधी रात में हिरासत में लेना पड़ता है? प्रदेश अध्यक्ष सभाजीत सिंह ने कहा कि हम जब राज्य सरकार की नाकामियां गिनवाते हैं तो सरकार हमारे साथ दुर्व्यवहार करती है। इस प्रेस वार्ता में सह प्रभारी नदीम अशरफ जायसी और मुख्य प्रवक्ता वैभव माहेश्वरी, प्रदेश प्रवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह मौजूद रहे।