राज प्रताप सिंह, लखनऊ ब्यूरो। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि यूपी में मुखिया विहीन सरकार चल रही है। कहीं कानून का राज नहीं दिखाई देता है। क्या यही लोकतांत्रिक व्यवस्था है? भारत के संविधान में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एवं शांति पूर्ण धरना-प्रदर्शन पर रोक नहीं है।
महिलाओं को पुरुषों के बराबर अधिकार दिए गए हैं। सीएए, एनआरसी, एनपीआर के विरोध में महिलाएं, बच्चे प्रदेश में कई स्थलों पर दिया जा रहा हैं।
अखिलेश ने कहा कि लखनऊ में समाजवादी छात्रसभा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व छात्रनेता पूजा शुक्ला को घंटाघर में धरना पर बैठने के कारण पुलिस ने गिरफ्तार कर यातना दी। उन्हें अपमानित करते हुए जेल भेज दिया गया। इटावा में प्रदर्शनकारी महिलाओं पर लाठीचार्ज किया गया।
पुलिस का यह आचरण नितांत निंदनीय और लोकतंत्र की स्वस्थ परम्परा के विपरीत है। महिलाओं के प्रदर्शन से घबराई भाजपा सरकार उन पर धरना खत्म करने का दबाव बनाने में लगी है। घंटाघर पार्क में बैठी महिलाओं के साथ ही राहगीरों से भी पुलिस अभद्रता कर रही है। पुलिस का यह रवैया समझ से परे है, क्योंकि धरना लगातार शांतिपूर्ण ढंग से चल रहा है।
उन्होंने कहा कि धरना स्थल पर धारा 144 लगाने का कोई औचित्य नही है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि इसे अनावश्यक तौर पर लागू करना नागरिक स्वतंत्रता पर प्रहार है। विरोधी आवाज को कुचलने का कोई भी प्रयास विधि सम्मत नहीं हो सकता है। भाजपा सरकार के दौरान महिलाओं का लगातार अपमान होता रहा है। हर क्षण उनकी सुरक्षा व सम्मान खतरे में रही है।