राज प्रताप सिंह, लखनऊ ब्यूरो। बसपा सुप्रीमो मायावती ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर दिल्ली दंगे की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच कराने की मांग की है। उन्होंने लिखा है कि दिल्ली मामले में भाजपा और इनकी सरकार अपनी कानूनी और संवैधानिक जिम्मेदारी निभाने में काफी हद तक विफल रही है। दंगा पीड़ितों को हर संभव सहायता मुहैया कराने के लिए केंद्र व दिल्ली सरकार को निर्देशित करने की मांग भी की है।
मायावती ने लिखा है कि दिल्ली दंगों के पीछे पुलिस व प्रशासन की कोताही व विफलता जगजाहिर है। इंसाफ का तकाजा और सुशासन की मांग है कि दिल्ली के दामन पर सिख दंगों की तरह लगे बदनुमा धब्बे को थोड़ा धोने के लिए इन घटनाओं की उच्चस्तरीय न्यायिक जांच हो। यह जांच सुप्रीम कोर्ट के जज की निगरानी में होनी चाहिए ताकि जांच के कुछ मायने निकल सकें व लोगों को हमेशा की तरह यह केवल लीपापोती व खानापूर्ति ना लगे।
उन्होंने लिखा है कि दिल्ली में अब तक करीब तीन दर्जन लोगों की जानें चली गई हैं। करीब 200 लोग घायल हुए हैं। मंहगाई, गरीबी और बेरोजगारी के दौर में लाखों कारोबार ध्वस्त हुए जिनमें ज्यादातर मेहनतकश निम्नवर्गीय लोग हैं। देश की राजधानी दिल्ली 1984 के सिख दंगे की तरह एक बार फिर से घातक दंगे से दहल गया है। यह पूरे देश के लिए अति गंभीर, अति दुखद और अति चिंता की बात है। इसने देश व दुनिया का ध्यान खींचा है। लगातार निगेटिव चर्चा का विषय बना हुआ है।
उन्होंने लिखा है कि खासकर बीजेपी व इनकी केंद्र सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वह ना तो खुद कोई ऐसा काम करें जिससे देश की प्रतिष्ठा पर कोई आंच आए और ना ही अपनी पार्टी के लोगों के उग्र बयानबाजी को सहन करे। जिसकी वजह से हिंसा और अराजकता फैले और अंतरराष्ट्रीय हेडलाइंस बनकर देश की बदनामी हो।