डेस्क : बिहार के लाल किले के नाम से मशहूर 62 फीट ऊंचे ऐतिहासिक दरभंगा राज किले पर 57 साल बाद गणतंत्र दिवस के अवसर पर राष्ट्रध्वज तिरंगे को फहराया गया.
गौरवशाली दरभंगा और मिथिला स्टूडेंट्स यूनियन संगठनों के युवा देर रात से ही किले पर गए. इन्होंने समारोह का आयोजन कर ध्वजारोहण कार्यक्रम किया.
गौरवशाली दरभंगा के सदस्य संतोष कुमार चौधरी ने कहा कि 57 साल पहले दरभंगा महाराज कामेश्वर सिंह ने 1962 में आखिरी बार गणतंत्र दिवस पर राजकिला पर ध्वजारोहण किया था. इसके बाद से यह उपेक्षित था. न तो सरकार और न ही राज परिवार के लोग यहां ध्वजारोहण कर रहे थे. पिछले साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर ये परंपरा शुरू की गई.
मिथिला स्टूडेंट्स यूनियन के विवि प्रवक्ता सागर सिंह ने कहा कि वे दरभंगा की नष्ट हो रही ऐतिहासिक धरोहरों को बचाने की मुहिम चला रहे हैं. उसी कड़ी में राज किले पर ध्वजारोहण किया गया है. सरकार जब तक ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण के लिये आगे नहीं आयेगी, तब तक उनका ये अभियान जारी रहेगा.
बता दें कि दरभंगा का राज किला दिल्ली के लाल किले की तरह बना है. यह मुगल और ब्रिटिश स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना है. इसका दरवाजा सिंह द्वार के नाम से जाना जाता है. इसमें फतेहपुर सीकरी के बुलंद दरवाजे की झलक मिलती है. इसका निर्माण दरभंगा के महाराजा कामेश्वर सिंह ने 1934 में करवाया था.
इस ऐतिहासिक धरोहर को उपेक्षित छोड़ दिया गया है. इसकी दीवारों में दरारें आ गयी हैं और बड़े-बड़े पीपल के पेड़ उग आये हैं. किले के संरक्षण का कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है. राज परिवार के वारिसों ने किले के भीतर की जमीन निजी लोगों को बेच दी है.