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गौशाला विलुप्ति के कगार पर, आवारा गौवंशो से किसान हलकान राहगीर परेशान

चकरनगर / इटावा (डॉ एस बी एस चौहान) : जहां एक तरफ शासन गौवंशों की सुरक्षा नाना प्रकार की पहल कर कदम उठाने में लगा हुआ है तो वहीं उनके अधीनस्थ कोई खास शासन की मंशा पर तवज्जो नहीं दे रहे हैं। जिसके चलते जहां एक तरफ दर्जनों गौवंश बेमौत काल के शिकार हो रहे हैं तो वहीं गोवंशों के गोल के गोल(समूहों को) देखकर किसानों के छक्के छूट रहे हैं। हजारों की तादात में जगह जगह पर पसरे यह गौ वंश फसल को खाकर ही नेस्तनाबूद नहीं करते बल्कि यह आम रास्ता चलते लोगों पर भी हावी होते हैं यानी हमला भी बोलते हैं और एक्सीडेंट करने में भी इनकी अहम भूमिका दिनों दिन होती चली जा रही है।

उपलब्ध जानकारी के अनुसार तहसील क्षेत्र चकरनगर के अंतर्गत गौवंशों की बाढ़ सी आई हुई है उसकी एक वजह यह और भी है कि जो गोवंश ट्रकों के द्वारा कसाई लेकर चलते हैं और जब पुलिस उन्हें संज्ञान में लेकर गिरफ्त में लेती है तो शासन की मंशा के अनुरूप गौवंशों के खातिर उन्हें इस जंगली क्षेत्र में छोड़ दिया जाता है जिससे वह आवारा पशु चारों तरफ घूम घूम कर फसलों को नष्ट तो करते ही हैं तो वहीं दूसरी तरफ राह चलते लोगों पर हमला बोल देते हैं और इतना ही नहीं चलते वाहन के सामने आकर एक्सीडेंट करने में भी अपनी अहम भूमिका निभाते हैं। उमेश मिश्रा 55 वर्ष बताते हैं की पिछली फसल गेहूं की जैसे भी हुई किसानों ने मुसीबत उठाते हुए क्षति को झेलते हुए उठा ली थी, लेकिन अब फसल बाजरा, उर्द-मूंग, अरहरा आदि की आ रही है और यह आवारा पशु जी चाहे वहां डोल रहे हैं। इनके स्वच्छंद विचरण से जहां एक तरफ फसलों का नुकसान हो रहा है तो वहीं दूसरी तरफ राह चलते लोगों पर हमला करना और चलते हुए वाहन के सामने धड़कते हुए खून के साथ जोश दिखाते हुए दौड़ना, दौड़ते ही किसी भी वाहन से टकराना अब तो इनकी दिनचर्या में शुमार हो गया है।


इस संबंध में जब तहसील के मुखिया इंद्रजीत सिंह आईएएस से बात हुई तो उन्होंने बताया की अस्थाई रूप से पहले तो कई गौशालाएं बनने के लिए आदेश हुआ था जिसकी पूर्ति कहीं जगह न मिल पाना, कहीं जगह पर विवाद होना आदि ऐसी समस्याएं सामने आने के कारण गौशालाओं का निर्माण बहुत कम हो सका। चलते समय इस स्थिति में बदलाव आया और अब यहां पर सिर्फ दो गौशालाओं के मेंटेनेंस की व्यवस्था रखी गई है जिनका विस्तार होगा और उसमें ढेर सारे गोवंश बंद किए जाएंगे लेकिन वह योजना खत्म हो गई है कि हर न्याय पंचायत या एक न्याय पंचायत में एक से अधिक भी गौशालाएं बनवाई जा सके। आवारा गोवंशों को स्थाई गौशालाओं में ले जाकर बंद किया जाएगा और किसानों की मुसीबत खत्म हो जाएगी।

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