डेस्क। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के मैथिली विभाग में मैथिली के वरेण्य कवि,कथाकार,व्यंग्यकार,आलोचक तथा अनुवादक उपेंद्र दोषी की जयंती विभागाध्यक्ष प्रो दमन कुमार झा की अध्यक्षता में मनाई गई। अपने सम्बोधन में प्रो. झा ने कहा कि उपेन्द्र दोषी अद्भुत प्रतिभा के धनी थे। अभाव में रहते हुए भी उन्होंने जिस प्रकार से मैथिली साहित्य को समृद्ध किया इसके लिए हम सभी उनके ऋणी हैं।
आगे उन्होंने कहा कि मुझे बाल्यावस्था से ही उनके सान्निध्य में रहने का सौभाग्य प्राप्त रहा है। वे सादा , सहज एवं मिलनसार थे । वे अपने जीवन के कई कठिन दौर को सहजता से स्वीकार करते हुए मिथिला-मैथिली की सेवा के लिए समर्पित रहे । वे अपने निराले स्वभाव से सभी के प्रिय थे एवं सभी का हित चाहने बाले थे। वे अपने साहित्य में यथार्थ को मुखर किया। उनकी छवि साहित्यकारों के बीच सहमिल्लू की थी। वे शहर में रहे लेकिन उनकी आत्मा गांव में बसती थी। उनकी कविताओं में ग्रामीण स्वर सहजता से प्रकट हो जाते थे। उनकी खिच्चरि ललित निबंध बड़े प्रसिद्ध हैं। आज भी लोग बड़े चाव से उसका रसस्वदन करते हैं। उसके पीछे की कहानी भी रोचकता के साथ इन्होंने सुनाई ।
डाॅ. अभिलाषा कुमारी ने अपने वक्तव्य में कहा कि दोषी जी के साहित्य को पढ़कर, उसको आलोचना-समीक्षा के माध्यम से आज के डिजिटलाइजेशन युग में नव पीढ़ी तक पहुंचाना हम सब की एक नैतिक जिम्मेदारी है।
डॉ. सुरेश पासवान ने उन्हें स्मरण करते हुए कहा कि उपेन्द्र दोषी का साहित्य सहज एवं यथार्थपरक है। उन्होंने इनके अनेकों साहित्यिक पक्ष को अपने वक्तव्य में रखा तथा साथ ही नव पीढ़ी को जिज्ञासु बनकर उनके साहित्य को पढ़ने हेतु प्रेरित भी किया। प्रचोदयात्, धुरी, यंत्रनाक क्षणमे, गंधवाह, औनाइत मोन, आदि उपेन्द्र दोषी की प्रसिद्ध रचनाएं हैं। 2003 ई.में इन्हें साहित्य अकादेमी अनुवाद पुरस्कार मनोज दासक कथा ओ कहनी अनुवाद के लिए सम्मानित किया गया।
‘मैथिली साहित्यमे उपेन्द्र दोषीक योगदान’ पर शोधरत विभागीय शोधार्थी भोगेन्द्र प्रसाद सिंह ने दोषी जी के जीवन ओ साहित्य पर विस्तारपूर्वक चर्चा किया। छात्र छात्राओं ने भी दोषी जी के व्यक्तित्व ओ कृतित्व पर अपनी बातें रखी,जिसमें प्रमुख थी शालिनी कुमारी, बन्दना कुमारी, शीला कुमारी, मनोज कुमार पंडित , राजनाथ पंडित, अम्बालिका कुमारी, नेहा कुमारी,रौशन, सत्यनारायण, दीपक, राज्यश्री, नेहा, प्रवीण, प्रियंका आदि। इस अवसर पर विभागीय सहकर्मी भाग्यनारायण झा एवं निरेन्द्र आदि उपस्थित थे।कार्यक्रम का संचालन डॉ अभिलाषा कुमारी ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ सुनीता कुमारी के द्वारा किया गया।