स्मारक घोटाला : सपा सरकार ने सीबीआई के बजाये विजिलेंस को दे दी थी जांच
लखनऊ।बसपा सुप्रीमो मायावती के मुख्यमंत्रित्व काल में हुए स्मारक घोटाले की जांच पांच वर्षों से अधर में पड़ी हुई है। वर्ष 2014 में तत्कालीन सपा सरकार ने मामले की जांच यूपी पुलिस के सतर्कता अधिष्ठान (विजिलेंस) को सौंपी थी। ऐसा तब हुआ जबकि लोकायुक्त ने इस घोटाले की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी।
लखनऊ के गोमती नगर थाने में मुकदमा दर्ज करने के बाद विजिलेंस पांच वर्षों बाद भी आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर पाया है। अभियोजन की स्वीकृति के लिए प्रकरण अभी भी शासन स्तर पर लंबित है। वर्ष 2007-12 के बीच बसपा के शासनकाल में कई पार्कों और मूर्तियों का निर्माण कराया गया। इसी दौरान लखनऊ और नोएडा में दो ऐसे बड़े पार्क बनवाए गए जिनमें तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती, बसपा संस्थापक कांशीराम व भारत रत्न बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर के अलावा पार्टी के चुनाव चिह्न हाथी की सैकड़ों मूर्तियां लगवाई गईं। उस समय मायावती सरकार के इस फैसले की विपक्षी नेताओं ने व्यापक आलोचना की थी।
लोकायुक्त जस्टिस एनके मेहरोत्रा की जांच रिपोर्ट के बाद चर्चा में आए इस घोटाले पर पूरी सपा सरकार के समय पर्दा पड़ा रहा। लोकायुक्त ने स्मारकों के निर्माण में 1400 करोड़ के घोटाले की आशंका जताते हुए इस मामले की विस्तृत जांच सीबीआई या एसआईटी से कराने की संस्तुति की थी। हालांकि अखिलेश सरकार ने दोनों ही संस्थाओं को जांच न देकर विजिलेंस को जांच सौंप दी। विजिलेंस की जांच इतनी धीमी गति से चलती रही कि चार वर्षों में इसमें कोई प्रगति नहीं हुई। इसी बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट के दखल के बाद विजिलेंस ने जांच पूरी की और अभियोजन की स्वीकृति के लिए प्रकरण शासन को भेजा। अभियोजन की स्वीकृति अभी तक लंबित है।