दरभंगा : यूजीसी के दिशा निर्देशों के आलोक में कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के धर्मशास्त्र विभाग के हॉल में प्राकशोध पाठ्यक्रम की औपचारिक शुरूआत के मौके पर आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति सर्व नारायण झा ने सभी गवेषकों को बताया कि जिस भाषा में शोध होना है, उसका सम्यक ज्ञान बहुत जरूरी है। इसलिए भाषायी सबलता के लिए यहां अलग से संस्कृत के साथ-साथ कम्प्यूटर का भी क्लास चलेगा। ताकि गवेषकों को शोध कार्य करने में आसानी हो। इन कक्षाओं से छात्र लाभ उठाएं।
उन्होंने स्पष्ट किया कि कक्षाओं की 15 दिनों के अंतराल पर समीक्षा करें और समन्वयक इसकी जानकारी गवेषक छात्रों को भी दें। दोबारा किसी भी परिस्थिति में छूट नहीं दी जाएगी। उक्त जानकारी देते हुए पीआरओ निशिकांत ने बताया कि इसके पूर्व कुलपति प्रो. झा ने प्राकशोध पाठ्यक्रम व शोध प्रविधि पर विस्तार से बताया। उन्होंने शोध कार्य के दौरान भाषायी व विषय के प्रति अनुशासित रहने की सलाह दी। इसके साथ ही कुलपति ने शास्त्र व तकनीक के ज्ञान को आवश्यक बताते हुए कहा कि जो भी लिखें व्यवस्थित लिखें, तर्कसंगत लिखें। शोध प्रारूप व शोध प्रबंध को भी उन्होंने विस्तार से समझाया। लगे हाथ उन्होंने नकल न करने सलाह भी दी। अन्यथा की स्थिति में कानूनी सजा भुगतने का खतरा बताया। पाठ्यक्रम के समन्वयक डॉ. दिलीप कुमार झा के संचालन में हुए कार्यक्रम को व्याकरणाचार्य प्रो. सुरेश्वर झा ने संबोधित करते हुए शोध कार्य करने के तौर तरीके को गहराई से समझाया। उन्होंने प्राकशोध पाठ्यक्रम को बहुत ही उपयोगी व जरूरी बताया और गवेषण, अन्वेषण व अनुसन्धान को परिभाषित किया।
इस मौके पर प्रो. शशिनाथ झा ने भी पाठ्यक्रम की प्रसांगिकताओं को रेखांकित किया। डॉ. विद्येश्वर झा, डॉ. हरेन्द्रकिशोर झा, डॉ. पुरेन्द्र वारिक समेत सभी विभागाध्यक्ष समेत छात्र गवेषक कार्यक्रम के दौरान मौजूद थे।