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पीपीई किट पहुंचने में न हो देरी, जरूरत पड़े तो हेलीकॉप्टर का करें इस्तेमाल : सीएम योगी

राज प्रताप सिंह (लखनऊ ब्यूरो) :: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ दिन रात जुटे डॉक्टर और मेडिकल टीम को लेकर चिंतित हैं। इसी कारण कोरोना वॉरियर्स के हित में योगी सरकार लगातार कई कदम उठा रही है। इसी कड़ी में शुक्रवार को सीएम योगी ने स्पष्ट तौर पर कहा कि एन-95 मास्क और पीपीई की उपलब्धता डॉक्टर, स्वास्थ्य कर्मियों और कोरोना के खिलाफ लड़ाई में लगे अन्य लोगों के लिए हमेशा बनी रही। अगर कमी होती है तो जरूरत पड़ने पर आप हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल कर ये जरूरी सामान उनतक पहुंचाएं।
सीएम योगी ने शुक्रवार को टीम 11 की समीक्षा बैठक के दौरान ये साफ कर दिया कि अगर पीपीई किट और एन 95 मास्क को दूसरे जिलों में भेजने में किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत है तो उसके लिए स्टेट हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अगर सड़क मार्ग से पीपीई किट्स लाने में देरी हो रही है तो खाली खड़े स्टेट हेलीकॉप्टर्स का इस्तेमाल करके उन्हें जल्दी मंगाइए।
इससे पहले भी योगी सरकार स्वास्थ्यकर्मियों के हितों के लिए कई अहम फैसले कर चुकी है। योगी सरकार ने स्वास्थकर्मियों पर हुए पथराव पर तत्काल संज्ञान लेते हुए दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दे दिए थे। यही नहीं सीएम योगी ने हॉटस्पॉट एरिया में जांच या इलाज के लिए जाने वाले स्वास्थ्यकर्मियों को पुलिस प्रोटेक्शन भी दिया है। हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने कोरोना वायरस के संक्रमण से लोगों को बचाने में जुटे कोरोना वारियर्स (पुलिस, सफाईकर्मी, डॉक्टर, नर्स और अन्य मेडिकल स्टाफ) की सुरक्षा की दिशा में बड़ा फैसला लिया है। एपिडेमिक डिजीज एक्ट- 1897 में बदलाव कर दंड को और सख्त कर दिया गया है। दोषियों को अब 7 साल की सजा और 5 लाख तक का जुर्माना भी भुगतना होगा।
इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए हैं कि एक सप्ताह में उत्तर प्रदेश को टेस्टिंग क्षमता की दृष्टि से देश का नंबर एक राज्य बनाया जाए। अपर मुख्य सचिव ने बताया कि मुख्यमंत्री ने टेस्टिंग के लिए प्रदेश में उपलब्ध समस्त संसाधनों का उपयोग करने को कहा है। इसके दृष्टिगत पं. दीन दयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय एवं गौ-अनुसंधान संस्थान मथुरा, लखनऊ स्थित केन्द्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (सीडीआरआई), भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान (आईआईटीआर) तथा बीरबल साहनी पुराविज्ञान संस्थान (बीएसआईपी) जैसे उच्चस्तरीय शोध संस्थानों की टेस्टिंग क्षमता का उपयोग करने पर विचार किया जा रहा है। सहारनपुर में एक लैब क्रियाशील की जाएगी। प्रत्येक मंडल मुख्यालय पर टेस्टिंग लैब स्थापित करने पर भी विचार चल रहा है।

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