दरभंगा। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के द्वारा एक दिवसीय उन्मुखी कार्यक्रम का आयोजन माननीय कुलपति प्रो साकेत कुशवाहा की अध्यक्षता में आरंभ किया गया। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति कहा कि मिथिला की धरती अच्छे काम के लिए जाना जाता रहा है उन्होंने शिक्षकों का आह्वान करते हुए कहा कि उन्हें जिस लग्न एवं ईमानदारी से इस व्यवसाय का चुनाव किया उसका सही लाभ समाज में दिखना चाहिए एवं इस दिशा में स्थापित प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार ने अपने राज्य में सफल नामांकन दर में बढ़ोतरी करने की योजना बनाई है वर्तमान में राज्य के 240 प्रखंड ऐसे हैं जहां स्नातक या उससे ऊपर की शिक्षा व्यवस्था नहीं है राज्य की लगभग आधी आबादी जनसंख्या शिक्षा व्यवसाय से वंचित है इसी के तहत ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के अपने अधिकार क्षेत्र में इस कमी को दूर करने का संकल्प लिया।
वैसे सरकार भी इस पर काफी कारगर एवं ठोस कार्य कर रही है इसी के तहत जिन टेन प्लस टू विद्यालयों में जहां की आधारभूत संरचना व्यवस्था अच्छी है वहां अध्ययन केंद्र खोल कर उच्च शिक्षा नागरिकों को मिले इसका प्रयास दूरस्थ शिक्षा निदेशालय, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय द्वारा किया जा रहा है । अपने बेबाक शब्दों से उन्होंने स्पष्ट किया कि शिक्षक ने स्वयं अपनी इच्छा से इस व्यवसाय का चुनाव किया है। किसी ने बाध्य नहीं किया है, ऐसी स्थिति में अपने कर्तव्य का निर्वहन दायित्व पूर्ण ढंग से करना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षकों में क्षमता की कोई कमी नहीं है आवश्यकता है सही ढंग से इसको उपयोग करने की। दुरस्त शिक्षा नारी को शिक्षित करने में बहुत ही कारगर होगा, स्त्री शिक्षा से परिवार समाज तथा राष्ट्र का विकास होगा , गरीब परिवार की लड़कियां को शिक्षा प्राप्त करने में काफी कठिनाई होती है जिसमें क्रांति लाने की आवश्यकता है और इस ओर दुरस्त शिक्षा काफी कारगर होगी ।
अब दूरस्थ माध्यम से प्राप्त डिग्री की मान्यता रेगुलर माध्यम के डिग्री के बराबर माना गया है। मुख्य अतिथि के रुप में नालंदा खुला विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ. आरपी उपाध्याय कार्यक्रम की शोभा बढ़ाया तथा उन्होंने कहा की मिथिला सिर्फ पाग, पान और मखान के लिए ही प्रसिद्ध नहीं है अपितु इस धरती के जनक, याज्ञवल्क्य, विद्यापति, मंडन मिश्र, नागार्जुन जैसे विभूतियों की धरती रही है यह सुखद संयोग है इस शिक्षा की धरती पर शिक्षा जगत में तिलक का स्थान रखने वाले बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के शिक्षक कुलपति है । उन्होंने कहा कि यह लगभग 20 वर्षों से इस विश्व्विद्यालय में आते जाते रहे हैं लेकिन पहली बार इतना परिवर्तन देखने का मौका मिला है । आप इसे बनाए रखिए पहले ऐसा भी समय देखने को मिलता था जब वर्ग में धूल साफ-साफ दिखलाई देती थी, लेकिन आज स्थिति बिल्कुल अलग है विश्वविद्यालय से लेकर वर्ग तक साफ सफाई का विशेष ध्यान रखा गया है, वर्ग संचालन सुचारु रुप से चल रहे है छात्र एवं छात्राएं वर्ग में आ रहे हैं । सेमिनार जैसे कई कार्यक्रम किया जा रहा है एवं छात्रों का कैंपस सलेक्शन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि शिकायत अगर किसी को प्रशासन से हो तो उसे सामने कहना चाहिए ताकि इसमें सुधार की गुंजाइश रहे , पीछे शिकायत वही करते हैं जिन में नैतिकता नहीं रहती है, साथ ही अच्छे कार्य करने वाले की खुलकर तारीफ करनी चाहिए ताकि मनोबल बढे और कार्य को प्रगति मिले ।
उन्होंने कहा कि शिक्षा समाज को बदलने का सशक्त माध्यम है डॉ. उपाध्याय ने कहा कि अमेरिका जैसे विकसित राष्ट्र में 35-40 फीसदी लोग दुरस्त शिक्षा के माध्यम से शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं, वही हिंदुस्तान में दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से मात्र 10 फिसिदि ही शेयर है । अन्य अतिथियो के रुप में कुलसचिव डॉ. अजीत कुमार सिंह ने कहां की शिक्षक राष्ट्र के प्रहरी हैं, ज्ञान का प्रज्ज्वलन करने वाले शिक्षक होते हैं संस्थाओं को सिर्फ डिग्री बांटने वाली संस्था नहीं बननी चाहिए, क्योंकि डिग्री के साथ साथ शिक्षित करता चाहिए । अतिथियों में ignou के क्षेत्रीय उप शिक्षा निदेशक डॉ.अब्दुल वासित ने कहां की शिक्षा में सुधार करना हमारी ही जिम्मेदारी है जो दायित्व दिया गया है उसका निर्वहन हम नहीं कर पा रहे है। शिक्षा आज भयावह है छात्र हमसे और हम छात्र से दूर होते जा रहे हैं। शिक्षकों में शिक्षण का जो गुण है वह कम होता जा रहा है, छात्र शिक्षक में संबंध नहीं रह गया है तो गुरु और शिष्य का संबंध कमजोर होता जा रहा है। लेकिन ऐसी परिस्थिति में वर्तमान कुलपति प्रो. कुशवाहा ने सुधार का जो प्रयास किया है वह बहुत ही सराहनीय है।
अतिथियों का स्वागत दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के निदेशक डॉ.ए. एन. कारगुप्ता के द्वारा पुष्प गुच् से किया गया साथी विभिन्न स्टडी सेंटर से भाग लेने वाले पर्वेक्षकों को भी उन्होंने फूल एवं बैग से सम्मानित किया । अपने स्वागत उद्बोधन में निदेशक, दुरस्त शिक्षा ने कहा कि हम बहुत ही गौरर्वान्वित महसूस कर रहे हैं हमें ऐसा कुशल नेतृत्व करता कुलपति का निर्देशन मिला है, उन्होंने कहा कि ऐसे मार्गदर्शक का हमें मार्गदर्शन प्राप्त हुआ है जो मिथिलांचल में शिक्षा का अलख जगाने में हमारे एवम् मार्ग। संस्थान का मार्ग प्रशस्त किया है वही धन्यवाद् ज्ञापन अध्यक्ष छात्र कल्याण डॉ के.पी.सिन्हा के द्वारा किया गया। वही तकनीकी सत्र की अध्यक्षता करते हुए ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के प्रति-कुलपति प्रो सैयद मुमताजूउद्दीन ने कहा कि सकल नामांकन दर में बढोतरी आवश्यक है साथ ही गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा पर भी जोर देना चाहिए। यह सिर्फ डिग्री बांटने की ही संस्था नहीं होनी चाहिए। बल्कि गुणवत्तापूर्ण मुक्त नागरिक बनाना हमारा परम कर्तव्य है । कार्यक्रम के सफल मंच संचालन श्री अखिलेश कुमार मिश्र के द्वारा किया गया। नए अध्यद्यन केन्द्रों की सूची नीचे दी जा रही है