लखनऊ(राज प्रताप सिंह) : पेट्रोल पंपों में इलेक्ट्रानिक चिप के जरिये तेल चोरी के मामले में लखनऊ में अलग-अलग थानों में सात मुकदमे दर्ज कराए गए हैं। पुलिस ने इन सभी मामलों में 23 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। वहीं आरोपियों से पूछताछ में कई सनसनीखेज तथ्य सामने आए हैं। एसटीएफ अधिकारियों के सामने बाराबंकी निवासी आरोपी इलेक्ट्रीशियन राजेंद्र ने प्रदेश में एक हजार से अधिक पेट्रोल पंपों में चिप लगाए जाने की बात स्वीकार की है। इसके हिसाब से अधिकारी राजधानी व प्रदेश के पेट्रोल पंपों में प्रति माह किए जा रहे घपले की रकम का आकलन करने में भी जुटे हैं। शुरुआती अनुमानित आंकलन में प्रदेश में हर माह ग्राहकों को डेढ़ सौ करोड़ से अधिक का चूना लगाया जा रहा था। वहीं लोग पर्दाफाश के बाद खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।
एसएसपी एसटीएफ अमित पाठक के मुताबिक गुरुवार को राजधानी के जिन सात पेट्रोल पंपों में धांधली पकड़ी गई थी, उनमें 23 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। सात थानों में मुकदमे दर्ज कराए गए हैं। जिन पेट्रोल पंपों में चिप लगाकर तेल चोरी की जा रही थी, वहां हर लीटर पेट्रोल व डीजल में छह से 10 प्रतिशत तक चोरी की बात सामने आई है। गल्ला मंडी स्थित मान फिलिंग स्टेशन में 10 प्रतिशत तेल की चोरी की जा रही थी। पूछताछ में सामने आया कि मान फिलिंग स्टेशन में प्रतिदिन एक लोड यानी 12 हजार लीटर की खपत थी। बड़े पेट्रोल पंपों पर प्रतिदिन अनुमानित एक लोड की खपत होती है। इस हिसाब से बड़े पेट्रोल पंप पर प्रति माह तीन लाख 60 हजार लीटर तेल की खपत हुई। औसतन 10 प्रतिशत तेल की चोरी के हिसाब से बड़े पेट्रोल पंप पर प्रतिदिन 1200 लीटर तेल की चोरी की जा रही थी। वहीं छोटे अथवा कम चलने वाले पेट्रोल पंपों में प्रतिदिन सात से दस हजार लीटर तेल की बिक्री का औसत भी रहता है।
आरोपी राजेंद्र के प्रदेश में एक हजार से अधिक पंपों में चिप लगाए जाने की बात को सच माना जाए तो हर माह प्रदेश में करीब 200 करोड़ रुपये का घपला चल रहा था। फिलहाल यह तय है कि करोड़ों रुपये के इस घपले में पेट्रोल पंप संचालकों से लेकर तेल कंपनियां व संबंधित महकमों के अधिकारियों की भूमिका कठघरे में है।
दिल्ली व कानपुर से लाता था चिप
आरोपी राजेंद्र ने पुलिस को बताया कि वह दिल्ली व कानपुर से इलेक्ट्रानिक चिप लाता था। उसने अपने सात साथियों के नाम भी पुलिस को बताए हैं। एसटीएफ सूत्रों के मुताबिक तीन को चिह्नित कर लिया गया है, जिनकी तलाश की जा रही है। आरोपी ने कानपुर, सीतापुर, रायबरेली, लखीमपुर, बाराबंकी सहित कई जिलों के पेट्रोल पंपों में चिप लगाने की बात स्वीकार की है।
तीस से चालीस हजार में लगाता था चिप
राजेंद्र ने बताया कि वह एक मशीन में तीस से चालीस हजार रुपये लेकर इलेक्ट्रानिक चिप व रिमोट सेंसर लगाता था। अलग-अलग मशीन के मॉडल के अनुरूप उसमें इलेक्ट्रानिक चिप लगाई जाती थी। पुलिस के मुताबिक चिप की कीमत पेट्रोल पंप संचालक एक दिन के घपले में ही पूरी कर लेते थे।
सात साल से था काले कारोबार में लिप्त राजेंद्र ने करीब सात साल से इस काले कारोबार में लिप्त होने की बात स्वीकार की है। पुलिस के मुताबिक राजधानी में यह खेल करीब तीन सालों से चल रहा था। इस दिशा में और गहनता से जांच की जा रही है। इस तरह के अन्य गिरोह भी सक्रिय हैं।