दरभंगा : कला, संस्कृति एवं युवा विभाग (संग्रहालय निदेशालय) द्वारा महाराजाधिराज लक्ष्मीश्वर सिंह संग्रहालय, दरभंगा में संग्रहालय सप्ताह के अवसर पर जिला पदाधिकारी, दरभंगा डा चन्द्रशेखर सिंह की उपस्थिति में ’’मिथिला के सांस्कृतिक धरोहरों का संरक्षण’’ विषय पर आयोजित विद्वत संगोष्ठी का शुभारंभ किया गया। जिलाधिकारी द्वारा पद्मश्री डा उषा किरण का अभिवादन किया गया।
जिलाधिकारी ने कहा कि मिथिलांचल धरोहरों की उर्वर भूमि है और उसके संरक्षण में भी सजग है। उन्होनें कहा कि मिथिला में विष्णु, सूर्य, गणेश, ब्रम्हा, अग्नि, बुध, महिसासुरमर्दिनी इत्यादि की कई मूर्तियाँ उत्खनन में प्राप्त होती हैं। जनता के लिए इन मूर्तियों का महत्व आम तौर पर भक्ति के लिए होता है, परन्तु इनका पुरातात्विक महत्व इससे कहीं बढ़ कर है। इसलिए इन मूर्तियों का संरक्षण अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। इसके लिए धरोहरों के संरक्षण की मुहिम में जनप्रतिनिधियों, धर्मगुरूओं को भी जागरूक कर जोड़ा जाना आवश्यक है, ताकि आम जनता को इनके महत्व के बारे में बताया जा सके एवं मूर्तियों का संरक्षण किया जा सके। इसके लिए यह जरूरी है कि कहीं भी इस तरह की मूर्तियाँ पाये जाने पर इन्हें संग्रहालय के सुर्पूद किया जाए। पुरातात्विक विशेषज्ञ डा सुशांत कुमार ने भी मूर्तियों के संरक्षण की चुनौतियों का उल्लेख किया। उन्होने कहा कि मंदिरों में पुरातात्विक महत्व की मूर्तियों को रंग-पेन्ट कर खराब न करें। उन्होनें दरभंगा किला, दरभंगा के मंदिरों एवं दरभंगा की समस्त धरोहरों के संरक्षण की अपील की। उन्होनें कहा कि दरभंगा में टूरिज्म को बढ़ाने की बहुत क्षमता है, बर्शर्ते कि सभी लोगों में अपनी धरोहर के संरक्षण की जागरूकता आए। बनारस से कला भवन के क्यूरेटर डा भोगेन्द्र झा ने कहा कि मूर्ति तस्करी को रोकने के लिए उनकी फोटोग्राफी कर सूचना दिया जाना अनिवार्य है। इसके माध्यम से इन्टरपोल को भी सूचना दी जा सकती है और चोरी, तस्करी की गई मूर्तियाँ बरामद भी की जा सकती हैं। मधुबनी आर्ट सेंटर की मनीषा झा ने मिथिला पेंटिग को प्रसिद्धि दिलाने में महिलाओं के योगदान की सराहना की। उन्होनें मिथिला पेंटिग के इतिहास की भी विस्तृत जानकारी दी।
जिलाधिकारी ने संरक्षित एवं असंरक्षित मूर्तियों तथा मिथिला चित्रकला पर आयोजित प्रर्दशनी का भी उदघाटन किया। उक्त स्थल पर मिथिला पेटिंग में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कलाकार विमला दत्ता, नूतन बाला, चंदना दत्ता तथा मनीषा झा भी उपस्थित थीं।