दरभंगा(वेब डेस्क) : 5 सितंबर को जिनकी जयंती शिक्षक दिवस के रूप में मनाई जाती है वो एक महान शिक्षक के साथ-साथ राजनीतिज्ञ एवं दार्शनिक भी थे. उस महान व्यक्तित्व को पूरी दुनिया डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के नाम से जानती है.आइए जानते हैं उनके अनमोल विचार –
* शिक्षक वह नहीं जो छात्र के दिमाग में तथ्यों को जबरन ठूंसे, बल्कि वास्तविक शिक्षक तो वह है जो उसे आने वाले कल की चुनौतियों के लिए तैयार करें.
* पुस्तकें वह साधन हैं जिनके माध्यम से हम विभिन्न संस्कृतियों के बीच पुल का निर्माण कर सकते हैं.
* शिक्षा का परिणाम एक मुक्त रचनात्मक व्यक्ति होना चाहिए जो ऐतिहासिक परिस्थितियों और प्राकृतिक आपदाओं के विरुद्ध लड़ सके.
* किताब पढ़ना हमें एकांत में विचार करने की आदत और सच्ची ख़ुशी देता है.
* मनुष्य को सिर्फ तकनीकी दक्षता नहीं बल्कि आत्मा की महानता प्राप्त करने की भी ज़रुरत है
* ज्ञान हमें शक्ति देता है, प्रेम हमें परिपूर्णता देता है.
* शिक्षा के द्वारा ही मानव मस्तिष्क का सदुपयोग किया जा सकता है. अत:विश्व को एक ही इकाई मानकर शिक्षा का प्रबंधन करना चाहिए.
* दुनिया के सारे संगठन अप्रभावी हो जाएंगे, यदि यह सत्य कि ज्ञान अज्ञान से शक्तिशाली होता है उन्हें प्रेरित नहीं करता.
* अगर हम दुनिया के इतिहास को देखे तो पाएंगे कि सभ्यता का निर्माण उन महान ऋषियों और वैज्ञानिकों के हाथों से हुआ है,जो स्वयं विचार करने की सामर्थ्य रखते हैं,जो देश और काल की गहराइयों में प्रवेश करते हैं,उनके रहस्यों का पता लगाते हैं और इस तरह से प्राप्त ज्ञान का उपयोग विश्व श्रेय या लोक-कल्याण के लिए करते हैं.