दरभंगा (विजय सिन्हा) : बी.एन. मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा के पूर्व कुलपति प्रो. रामबदन यादव ने कहा कि मन विचार का प्रवाह है, इसलिए मन का प्रसन्न रहना स्वस्थ्य रहना कहलाता है। बुद्धि ज्ञान अर्जन में सहायक माध्यम है। वह आज स्नातकोत्तर रसायनशास्त्र विभाग में औषधि विज्ञान विषय दो दिवसीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में बतौर उद्घाटनकर्ता अपने विचार व्यक्त कर रहे थे।
उन्होंने चरक और सुश्रुत संहिता की चर्चा करते हुए कहा कि ऐसा कोई पौधा नहीं जिसका औषधि मूल्य नहीं हो। संगोष्ठी की अध्यक्षता प्रो. मनोज कुमार झा ने की। इस मौके पर विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो. शीला चौधरी ने औषधि रसायन में पौधों के योगदान पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम के प्रारंभ में प्रो. ए.के. गुप्ता ने अतिथियों का स्वागत किया। वहीं संगठन सचिव प्रो. रतन कुमार चौधरी ने विषय प्रवेश कराते हुए सिंथेटिक दवाइयों के असर और आयुर्वेद के पुनरूत्थान की बात बताई। उद्घाटन सत्र को विकास पदाधिकारी डॉ. के.के साहू, डॉ. सुधिन्द्र मोहन मिश्र, डॉ. एस. एन. तिवारी ने संबोधित किया। संचालन डॉ. विवेकानंद झा और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. ए. एस. अंसारी ने किया। तीन सत्रों में आयोजित संगोष्ठी के द्वितीय तकनिकी सत्र की अध्यक्षता प्रो. प्रेममोहन मिश्रा ने की। इसे संसाधन पुरूष नाईपर, रायबरैली के डीन प्रो. आर.पी. त्रिपाठी ने संबोधित किया।
इस मौके पर प्रो. आइ.एस. झा, प्रो. एस. झा, प्रो. चंद्रभानु प्रसाद सिंह, प्रधानाचार्य डॉ. विद्यानाथ झा आदि ने भाग लिया। वहीं श्रेया पारमार, चंद्रमा कुमारी, प्राची प्रकाश, गुंजा कुमारी, अविनाश पाटिल, आर.के. पांडेय सहित डेढ़ दर्जन प्रतिनिधियों ने शोध पत्र प्रस्तुत किये।