चकरनगर (इटावा, डॉ एस एस बी चौहान) 12 अक्टूबर ।
लॉकडाउन के बाद भवन निर्माण सामग्री की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं सीमेंट, मौरंग, सरिया, ईट और गिट्टी के दामों में 20 से 25% की वृद्धि हुई है इस तेजी ने बहुत से लोगों के मकान बनवाने का बजट ही बिगाड़ दिया है। फिनिशिंग,रंगाई-पुताई, इलेक्ट्रॉनिक का काम करा पाना भी मुश्किल हो रहा है। आशियाना बनाने की चाह में रोड़ा बनी मंहगाई से कई लोगों को मकान बनाने का इरादा मजबूरी में टालना पड़ा। आम लोग अपना मकान बनाने से पहले बजट का आंकलन कर लेते हैं उसके बाद ही कार्य की श्री गणेश करते हैं। कोरोना लॉकडाउन में ज्यादातर लोगों की आमदनी घटी तो महंगाई भी बढ़ने लगी हर क्षेत्र में आई तेजी से भवन निर्माण सामग्री भी प्रभावित हुई है ऐसे में मकान निर्माण कराने वालों का स्टीमेट बिगड़ गया है कई लोगों ने महंगाई के कारण फिलहाल निर्माण अधूरा ही छोड़ दिया है।
कुछ लोग आशियाना का काम शुरु करा पाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं आगे आने वाले समय में महंगाई कम होगी याकि और बढ़ेगी इसका भरोसा नहीं है। महंगाई की मार झेल रहे लोग अपना मंसूबा किस तरीके से बयां करते हैं – बकेवर निवासी करुणा शंकर त्रिपाठी वताते हैं कि अपने मकान के निर्माण कराए जाने के बारे में सोचा था और मैंने अपने एस्टीमेट के हिसाब से अपना बजट बनाया था परंतु अब इतनी मंहगाई के चलते लागत मूल्य बढ़ रहा है बजट बिगड़ रहा है इसलिए उन्होंने अपने मकान का निर्माण कार्य आगे बढ़ा दिया है।वहीं धरणीधर शुक्ला ने बताया कि मैं अपना मकान बनवाना चाहता था मेरा बजट 10 ,15 लाख का था जब मकान बनवाना शुरू किया तो इतनी महंगाई होने के कारण मकान 25लाख के ऊपर निकल गया तो आधा काम मकान का छोड़ना पड़ा जिससे अभी कार्य बंद चल रहा है।
वहीं राधे उत्सव गार्डन के राधेश्याम चौधरी ने बताया की मेरे गेस्ट हाउस का अधूरा कार्य पड़ा हुआ है जिसे मैं करवाना चाहता हूं तो महंगाई की वजह से कार्य पूरा नहीं हो पा रहा हूं। वही बिल्डिंग मैटेरियल सप्लाई करने वाले डॉ0 राजेश चौहान ने बताया जब से लाक डाउन शुरू हुआ है तब से एक बटे चार दुकानदारी हो गई है। इतनी महंगाई होने के कारण किसान व भवन निर्माण करने वालों के काम अधूरे पड़े हुए हैं क्योंकि कोई खरीदारी नहीं कर रहा है। महंगाई की वजह से दुकानदारी भी नहीं हो रही है ।वही मोरंग के रेट जो 4हजार की थी वह इस समय 65 सो रुपए की आ रही है सीमेंट 280बोरी 360 की बिक रही है। सरिया 3800 वाला 4400 रुपए बिक रहा है ।ईटा 5 हजार वाली 7हजार बिक रही है ।महंगाई को देखते हुए काम सारे अधूरे पड़े हुए हैं।तो यहां पर यह कह देना है हाय हाय रे मजबूरी….?