इटावा(चरकनगर)रिपोर्टर(डॉ.एस.बी .एस.चौहान) : प्राचीन ऐतिहासिक महाकालेश्वर भोलेनाथ के समीप पांच नदियों के संगम में कार्तिक पूर्णिमा के दिन 1317 ई0 से श्रद्धालु पर्व लेने की अलख जलाये हुये है। इस पर्व में सर्वाधिक अविवाहित लड़कियां सुंदर मन चाहा घर-वर पाने के लालशा लेकर व विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घायु तथा साधू संत कार्तिक पूर्णिमा के दिन पचनद में स्नानकर मोक्ष की आकांक्षा और बाबा से अपनी मनोकामना पूर्ण करने पर विश्वास रखते है। उक्त स्नान पर्व के दौरान 2 प्रदेशों और दर्जनों जनपदों के लाखों श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ता है और बाबा पर बेलपत्री,धतूरा चढ़ाने तथा संगम में दिए जलाने की परंपरा मानी जाती है।
- विश्व का पहला सुंदर पांच नदियों का संगम पचनद
- कार्तिक पूर्णिमा के दिन पचनद में लाखों श्रद्धालु लगायें आस्था की डुबकी
- 1317 ई0 से पचनद में चल रही स्नान पर्व की परम्परा
- 4 नंबर को सुबह 4 बजे से हुआ स्नान पर्व
तहसील क्षेत्र चकरनगर के प्राचीन ऐतिहासिक महाकालेश्वर मंदिर के समीप यमुना, चंबल, क्वारी, सिंध व पहूज पांच नदियां का विश्व का पहला सुंदर संगम है। उक्त संगम के निर्मम स्थान को पचनद के नाम से जाना जाता है। इस स्थान पर कार्तिक पूर्णिमा के दिन 1317 ई0 से निरंतर स्नान पर्व की परंपरा चली आ रही है। जिसमें मध्य प्रदेश के अलावा जनपद जालौन, उरई, झांसी, औरैया, कानपुर नगर व देहात, मध्य प्रदेश के जनपद भिण्ड़, ग्वालियर तथा मुरैना से भी साधुओं सहित अन्य लाखों श्रद्धालु आस्था की ढुबकी लगाने से नहीं चूकते है। वहीं परंपरा के अनुसार क्वार माह के पूरे महीने में प्रातः 4 बजे स्नान बनाकर तुलसी की पूजा करने बालीं किशोरियां और युवतियां सुंदर घर-वर की आकांक्षा में समरसेबिल, हैण्ड़पप्प व नदी आदि में स्नान करती है और कार्तिक की पूर्णिमा के दिन पचनद में स्नान के पूर्व दिये प्रज्वलित कर महाकालेश्वर बाबा के दर्शन कर अपने एक माह के स्नान का वृत तोड़तीं है।
वहीं दूर-दराज से पधारे साधू महात्मा संगम में पर्व लेने के बाद बाबा के स्थान पर माथा टेककर मनोकामना पूर्ण करने की सिर्फ मांग ही नहीं करते, बल्कि बाबा से पूरी आस्था भी रखते है। उक्त संगम पर कार्तिक पूर्णिमा से लेकर 7 दिन निरंतर स्नान पर्व और मेले का आयोजन चलता है। जिसमें सर्वाधिक संख्या अविवाहित लड़कियों की ही देखने को मिलती है।
संगम पर पांडवों ने भी काटा अज्ञातवास
चकरनगर : जांनकारों की मानें तो उक्त सुंदर संगम और बाबा भोलेनाथ के मंदिर पर पांडवों द्वारा अज्ञातवास काटने के समय पूजा अर्चना तो की ही गयी साथ ही समीप में एक चौमुखी देवी की प्रतिमा भी स्थापित की गयी है। जिसकी आज तक क्षेत्र में पूर्जा अचर्ना की जाती है और लोगों में उनके प्रति एक अलग आस्था देखने को मिलती है।
– पचनद में स्नान पर्व व मेले की गोताखोरों से लेकर पुलिस तक की समुचित व्यवस्था कर दी गयी है।
जितेन्द्र कुमार श्रीवास्तव, उपजिलधिकारी चकरनगर।
-शनिवार यानि 4 नवंबर को पचनद में स्नानपर्व किया गया। जिसकी समुचित व्यवस्था की गयी है। अधिक से अधिक संख्या में पहुंचकर भगवान भोलेशंकर के दर्शन करें और मेला को सफल बनायें साथ ही शांति व्यवस्था भी बनाये रखें।
बापू सहेल सिंह परिहार, कमेठी मंत्री।