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दरभंगा (विजय भारती) :- दरभंगा, समाहरणालय अवस्थित बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेदकर सभागार में जिलाधिकारी, दरभंगा राजीव रौशन की अध्यक्षता में कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध अभिकरण (आत्मा),दरभंगा द्वारा किसान गौरव एवं किसान श्री पुरस्कार वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। वित्तीय वर्ष 2021-22 में कृषि प्रक्षेत्र – धान फसल (खरीफ) में दरभंगा जिला में सर्वाधिक प्रति हेक्टर 80 क्विंटल धान उत्पादन करने वाले किसान अजित नारायण यादव को दरभंगा का किसान गौरव एवं प्रखण्ड स्तर पर सर्वाधिक उत्पादन करने वाले 13 किसानों को दरभंगा के किसान श्री पुरस्कार से नवाजा गया। इनमें दरभंगा सदर प्रखण्ड के किसान फूलो देवी, सिंहवाड़ा प्रखण्ड के राजीव कुमार, अलीनगर प्रखण्ड के जयकान्त शर्मा, बेनीपुर प्रखण्ड के जय प्रकाश झा, जाले प्रखण्ड के निरंजन पुरी, मनीगाछी प्रखण्ड के बैधनाथ सिंह, केवटी प्रखण्ड के असदुल्लाह रहमान, किरतपुर प्रखण्ड के बनारसी यादव, बहादुरपुर प्रखण्ड के विनय कुमार ठाकुर, बिरौल प्रखण्ड के श्याम कुमार, तारडीह प्रखण्ड के दिनेश यादव, घनश्यामपुर प्रखण्ड के बबीता देवी एवं बहेड़ी प्रखण्ड के किसान सीताराम साहू शामिल हैं।
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उल्लेखनीय है कि किसान गौरव पुरुस्कार के लिए 25 हजार रूपये एवं किसान श्री के लिए 10 हजार रूपये प्रोत्साहन राशि के रूप में प्रदान किया जाता है। इस अवसर पर पुरस्कृत किसानों को सम्बोधित करते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि आप को किसान गौरव एवं किसान श्री पुरस्कार प्राप्त हुआ है, वास्तव में यह पुरस्कार इस बात का द्योतक है कि आपलोगों ने खेती के माध्यम से जो उत्पादकता हासिल की है, वह अन्य किसानों के लिए भी प्रेरणादायी हो। उन्होंने कहा कि हम जानते हैं कि विश्व की बढ़ती आबादी का पेट भरने के लिए, उनका भरण-पोषण करने के लिए हमें कृषि उत्पादकता को लगातार बढ़ाते रहना होगा। साथ ही भारत सरकार की परिकल्पना है कि किसानों की आमदनी बढ़े और कृषि को उद्यम से जोड़ते हुए उसे आगे ले जाया जाए। इसके लिए हम किस प्रकार प्रयास कर सकते हैं, इसकी भी झलक यहाँ दिखाई पड़ती है। उन्होंने कहा कि कृषि में आमदनी बढ़ाने के लिए या तो उत्पादकता बढ़ाकर उसकी लागत कम करनी होगी या उसके उत्पाद की कीमत बढ़ाई जाए, उसकी माँग में वृद्धि हो। आज उत्पादन की मात्रा बढाने में आपलोगों ने एक आयाम स्थापित किया है, जो बहुत ही सराहनीय है। बिहार की अर्थव्यवस्था कृषि पर निर्भर है और कृषि में उत्पादकता बढ़ेगी, तो लोगों की आमदनी बढ़ेगी। सरकार भी किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाओं से कृषि को जोड़ रही है, ताकि हमारे किसान आगे बढ़े। उन्होंने कहा कि आप लोगों ने उत्पादन में जो कृतिमान स्थापित किया है, इससे दूसरे किसान भी प्रेरित होंगे। उन्होंने कहा कि कृषि इनपुट पर भी हमें ध्यान देना होगा कि किस प्रकार मृदा के स्वास्थ्य का ख्याल रखते हुए हम अपनी कृषि उत्पदकता को बढ़ावें, ताकि भविष्य में हमारी मृदा(मिट्टी) की उत्पादकता न घटे। उन्होंने कहा कि हरित क्रांति के जो अग्रणी राज्य रहें हैं, उन्होंने अपने कृषि इनपुट में संतुलन नहीं बनाया, जिससे उत्पादकता तो बढ़ी, लेकिन भविष्य में मृदा की उत्पादकता प्रभावित हुई। इसके कारण वहाँ की मिट्टी की क्षमता प्रभावित हुई। उन्होंने कहा कि आज द्वितीय हरित क्रांति के लिए जिस क्षेत्र में क्षमता है, वह निश्चित रूप से बिहार और पूर्वी भारत के क्षेत्र हैं। हम मिट्टी की जाँच करवाते हैं, मिट्टी की उर्वरक क्षमता को बनाये रखने हेतु सम्यक रूप से उर्वरक का प्रयोग करते हैं, मिट्टी की उत्पादक क्षमता बना रहे, इसलिए इन सारी बातों पर भी ध्यान में रखते हैं। उन्होंने कहा कि अभी वर्तमान समय की माँग ऑर्गेनिक फार्मिंग को बढ़ावा देना है, ऑर्गेनिक फार्मिंग से यह लाभ होता है कि मिट्टी की उर्वरकता बनी रहती है और गुणवत्ता पूर्ण उपज प्राप्त होती है, जो हमारे स्वास्थ्य पर नाकारात्मक प्रभाव नहीं डालती है और हमारा स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है। हमलोगों को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है कि ऑर्गेनिक फार्मिंग को अपनाकर स्वस्थ्य एवं स्वच्छ उत्पादन करें और किसानों की आमदनी भी बढ़े। उन्होंने कहा कि बिहार में कृषि क्षेत्र में बहुत बड़ी संभावना है, क्योंकि बिहार की मिट्टी बहुत उपजाऊ है। यहाँ की मिट्टी के संबंध में अन्य प्रदेश के लोग बोलते हैं कि बिहार को भगवान का विशेष वरदान प्राप्त है। विशेष वरदान इस अर्थ में कि यहाँ की मिट्टी का उर्वरता ज्यादा है, यहाँ की मिट्टी में जल धारण की क्षमता ज्यादा है, यहाँ पानी की किल्लत नहीं है। उन्होंने कहा कि बिहार को जो यह विशेष वरदान मिला है, आवश्यकता यह बात की है कि इसका विवेकपूर्ण उपयोग किया जाए और बिहार को आगे ले जाने में अपनी भूमिका का निर्वह्न किया जाए। उप विकास आयुक्त तनय सुल्तानिया ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए पुरस्कृत किसानों को बधाई देते हुए किसानों को अपनी उत्पादकता की वृद्धि दर बनाये रखने का सुझाव दिया। उन्होंने किसानों को पुरस्कार मिल जाने से संतुष्ट होकर बैठने के बजाए इस बात पर चिंतन करने को कहा कि अपनी उत्पादकता को और कैसे बढ़ा सकें, अपनी मिट्टी की उर्वर क्षमता को कैसे बनाए रखें, गुणवत्ता पूर्ण उत्पादन कैसे करें, इस पर सोचने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अगली बार जब हम पुनः किसान सम्मान समारोह में मिले तो यह उत्पादकता की दर और बढ़ी हुई मिलनी चाहिए। इस अवसर पर उप निदेशक, जन सम्पर्क नागेन्द्र कुमार गुप्ता, जिला कृषि पदाधिकारी राधा रमण, परियोजना निदेशक (आत्मा) पूर्णेंदू झा, जिला प्रोग्राम पदाधिकारी (समेकित बाल विकास परियोजना) डॉ. रश्मि वर्मा, जिला उद्यान पदाधिकारी आभा कुमारी, सहायक निदेशक, पौधा संरक्षण सीमा कुमारी, सहायक निदेशक, इंजीनियरिंग शंभू कुमार एवं अन्य संबंधित पदाधिकारीगण उपस्थित थे।