वनकर्मी के माकान में कई माह से फल फूल रहा था भ्रूण हत्या का काला कारोबार
सीएमओ के आदेश चिकित्सा अधीक्षक सिद्वौर ने की कड़ी कार्यवाही अस्पातल किया सीज
अनुराग शुक्ल (हैदरगढ़/बाराबंकी) :: थाना कोठी क्षेत्र के केसरगंज बाजार के निकट पिछले छः महीनों से वनकर्मी के मकान में एक अवैध नर्सिंग होम का संचालन किया जा रहा था। उक्त नर्सिंग होम को चलाने में कुछ आशा बहुओं के साथ साथ स्वास्थ्यकर्मी भी मिले हुए थे। बिना डिग्री होल्डर के ही नर्सिंग होम में अपने आपको डाक्टर बताने वाले कक्षा-8 पास एक युवक महिलाओं की डिलेवरी से लेकर भू्रण हत्या का काम जोरों से चल रहा था। हालात यहां तक थे कि प्रतिदिन इस अवैध नर्सिंग होम में चार-पांच केस आते थे और पीड़ित मरीजों से डिलेवरी गिरवाने के नाम पर मोटी रकम वसूली जाती थी। बीती गुरुववार की शाम को कुछ जागरुक ग्रामीणों ने मुख्य चिकित्साधिकारी डा. रमेश चन्द्र को फोन करके अवैध नर्सिंग होम के संचालन की जानकारी दी।
सूचना मिलते ही सीएमओ ने सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सिद्धौर के अधीक्षक डा. हरप्रीति सिंह को छापा मारने का आदेश दिया। उसके बाद आनन फानन में सिद्धौर सीएचसी में तैनात डाक्टरों की एक टीम ने नर्सिंग होम में छापा मारा। स्वास्थ्य अधिकारियों की टीम को देखकर नर्सिंग होम के कर्मचारी आनन फानन में सारा काम काज छोड़कर अंधेरे का लाभ उठाकर निकल भागे। स्वास्थ्य अधिकारियों की छापा मारने की सूचना जैसे ही क्षेत्रीय ग्रामीणो को हुई तो सभी ग्रामीणों ने स्वास्थ्य टीम का साथ दिया। टीम द्वारा नर्सिग होम के कमरों में जाकर जब तलाशी ली गयी तो वहां पर उनको कई आपत्तिजनक सामग्री भी मिली।
इतना ही नही सरकारी ओआरएस घोल के पैकेट के अलावा अन्य सामानों के साथ साथ वहां पर रखा रजिस्टर भी स्वास्थ्य अधिकारियों ने अपने कब्जे में ले लिया। करीब आधे घण्टे तक तलाशी अभियान के बाद स्वास्थ्य अधिकारियों ने अवैध नर्सिंग होम को सीज कर दिया। इस सम्बन्ध में जब सीएचसी अधीक्षक सिद्धौर डा. हरप्रीत सिंह से वार्ता की गयी तो उनका कहना था कि छापामारी की गयी है नर्सिंग होम का संचालक कौन है इसका पता लगाया जा रहा है। नोटिस भेजकर तीन दिनों के अन्दर जवाब मांगा गया है। अगर उचित जवाब नही मिला तो मुकदमा दर्ज कराकर कार्यवाही की जायेगी।
वनकर्मी की भूमिका संदिग्ध
पिछले छः महीनों से जिस वनकर्मी के मकान में अवैध नर्सिंग होम का संचालन हो रहा था और गांव की महिलाओं को इलाज के नाम पर उनका शोषण किया जा रहा था इस बात की जानकारी वनकर्मी को नही है। मकान मालिक वनकर्मी से जब इस सम्बन्ध में जानकारी की गयी तो उनका बेरुखा जवाब आया। उनका कहना था कि मुझको किराया मिलता है मुझे आगे क्या लेना देना। उनसे यह भी पूछा गया कि किराया कौन देता था और नर्सिंग होम का संचालक कौन था तो वनकर्मी सब कुछ गोल कर ले गये। कुल मिलाकर इस नर्सिंग होम के संचालन में वनकर्मी की भूमिका संदिग्ध नजर आ रही है। क्षेत्रीय नागरिकों ने जांच की मांग की है।
कदम-कदम पर सजी हैं झोलाछाप डाक्टरों की दुकानें
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सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सिद्धौर के अन्तर्गत आने वाले प्रमुख बाजारों व कस्बो में झोलाछाप डाक्टरों की भरमार हो गयी है। कस्बा सिद्धौर, सेमरावां, केसरगंज, कोठी, बुधनई, नई सड़क, रसूलपुर, असन्द्रा बाजार, कादिरपुर, नूरपुर, जलालपुर, सहित प्रमुख चौराहों पर एक सैकड़ा के करीब झोलाछाप डाक्टरों की पूरी लम्बी फौज है। कदम-कदम पर अपनी दुकान सजाकर बैठे ये झोलाछाप डाक्टर गरीब मरीजों का जमकर शोषण कर रहे हैं। स्वास्थ्य कर्मचारी सब कुछ जानने के बाद भी झोलाछाप डाक्टरों के विरुद्ध कार्यवा ही करने से क्यों कतरा रहे हैं। यह चर्चा का विषय बना हुआ है।
स्वास्थ्य अधिकारी का खुला संरक्षण
पूरे जनपद में एक नही हजारो अवैध नर्सिंग होमो का संचालन हो रहा है। सबसे गौरतलब बात यह है कि सीएमओ कार्यालय में तैनात एक स्वास्थ्य अधिकारी का इन नर्सिंग होमो के संचालको के ऊपर खुला संरक्षण प्राप्त है। चर्चा तो यहां तक है कि अवैध नर्सिंग होम संचालक प्रतिमाह उस स्वास्थ्य अधिकारी को मोटी रकम देते हैं जिसने पैसा देने में आनाकानी की उसके विरुद्ध स्वास्थ्य विभाग की सारी कार्यवाही की जाती है। सबसे मजेदार बात यह है कि पिछले एक दशक से उक्त स्वास्थ्य अधिकारी सीएमओं कार्यालय में ही कार्यरत है। उक्त अधिकारी को किसी भी बड़े अधिकारियों का खौफ नही है।
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