बिहारशरीफ : सिख धर्म के पहले गुरू गुरूनानक देव की 548वीं जयंती प्रकाश उत्सव के रूप में मनायी गयी। बिहारशरीफ के भरावपर स्थित श्री गुरूनानक देवजी संगत पैजावा में जयंती समारोह का आयोजन किया गया। इस मौके पर निशान साहेब का चोला बदला गया और उसके बाद परंपरागत तौर पर पूजा अर्चना किया गया। गुरूद्वारा के प्रधान ग्रंथी सतनाम सिंह ने बताया कि गुरूनानक देव जी की जयंति प्रत्येक वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनायी जाती है। गुरूनानक देव के तीन वचन थें। अपने हाथों से खुद काम करना, बांट कर खाना और ईश्वर का नाम जपना। उनके इन तीन वचन का पालन कर मनुष्य सुखी रह सकता है। गुरूनानक देव जी ने शांति का पाठ पढ़ाया लेकिन हिंसा के खिलाफ लड़ने का भी बीडा उठाया। गुरूनानक देव जी पटना साहेब होते हुये बिहारशरीफ की धरती पर पहुंचे थें। इस अवसर पर लंगर का भी आयोजन किया गया। इस अवसर पर सिमरजीत सिंह, सरदार भागवत सिंह, सरदार सतवंत सिंह, सरदार पंचम सिंह, सरदार वीर सिंह, सरदार रधुवंश सिंह, मनजोत कौर सोहल, चिंता कौर, संजू कौर, अवंतिका कौर, लालति देवी आदि मौजूद थें।
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