डेस्क : लोकसभा चुनाव आने वाले हैं, इसके पहले सभी पार्टियां जनता को लुभाने का कोई मौक़ा नहीं छोड़ना चाहती है. कुछ राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिली करारी हार के बाद, अब केंद्र में बैठी भाजपा सरकार किसी प्रकार की कोई कमी नहीं रखना चाहती है. अब केंद्र सरकार ने सवर्ण समुदाय को निशाना बनाकर एक फैसला लिया है.लोकसभा चुनाव से चंद महीने पहले मोदी सरकार ने बड़ा दांव चलते हुए आर्थिक रुप से पिछड़े सर्वणों का आरक्षण देने का फैसला किया है. सरकार के फैसले के मुताबिक गरीब सवर्णों को नौकरी और शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था की जाएगी और आरक्षण मौजूदा आरक्षण व्यवस्था में बिना किसी छेड़छाड़ के दी जाएगी. मोदी सरकार ने गरीब सवर्णों को आरक्षण देने के लिए संविधान संसोधन का फैसला किया है.
सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक के बाद सरकार ने तथाकथित रूप से उच्च जातियों के बीच आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में 10 फीसदी कोटा को मंजूरी दे दी है। सूत्रों ने कहा कि सरकार एक विधेयक के साथ तैयार है जिसे शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन कल संसद में पेश किया जाएगा.यह निर्णय महीनों पहले आता है जब सरकार का कार्यकाल कुछ महीनों में समाप्त होता है और देश चुनाव मोड में आ जाता है.
भाजपा के एक नेता ने कहा कि यह कदम उन समुदायों की आरक्षण मांगों से निपटने के लिए काम आएगा जो मांग कर रहे थे कि उन्हें अन्य पिछड़े वर्गों या ओबीसी में गिना जाएगा, जिनके पास सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए 27 प्रतिशत कोटा है.
यह भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय गठबंधन को भी उच्च जाति के वोट को मजबूत करने में मदद करेगा, जिसे भाजपा के समर्थन आधार के तीन महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक माना जाता है. अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), और नई दलित उप-जातियां जो निष्ठा को स्थानांतरित करती हैं, अन्य दो स्तंभ माने जाते हैं.
बता दें कि 2018 में SC/ST एक्ट को लेकर जिस तरह मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलट दिया था, उससे सवर्ण खासा नाराज बताया जा रहा था.
माना जा रहा है कि मंगलवार को मोदी सरकार संविधान संशोधन बिल संसद में पेश कर सकती है. बता दें कि मंगलवार को ही संसद के शीतकालीन सत्र का आखिरी दिन है.
किन्हें मिलेगा लाभ?
जिस व्यक्ति के पास तय सीमा से अधिक संपत्ति होगी, उसे इस संशोधन का लाभ नहीं मिल पाएगा. सूत्रों की मानें तो ये आरक्षण 8 लाख सालाना आमदनी और 5 एकड़ से कम जमीन वाले सवर्णों को मिल सकता है. इसके अलावा जिनके पास सरकारी जमीन (DDA, निगम की जमीन) पर अपना मकान होगा, उन्हें भी इसका लाभ नहीं मिल पाएगा.
इन सभी को मिलेगा लाभ
- जिनकी सालाना आय 8 लाख से कम हो
- जिनके पास 5 लाख से कम की खेती की जमीन हो
- जिनके पास 1000 स्क्वायर फीट से कम का घर हो
- जिनके पास निगम की 109 गज से कम अधिसूचित जमीन हो
- जिनके पास 209 गज से कम की निगम की गैर-अधिसूचित जमीन हो
- जो अभी तक किसी भी तरह के आरक्षण के अंतर्गत नहीं आते थे
आपको बता दें कि मोदी सरकार ये आरक्षण आर्थिक आधार पर ला रही है, जिसकी अभी संविधान में व्यवस्था नहीं है. संविधान में जाति के आधार पर आरक्षण की बात कही गई है, ऐसे में सरकार को इसको लागू करने के लिए संविधान में संशोधन करना होगा. सरकार के इस फैसले को लोकसभा चुनाव से जोड़ते हुए देखा जा रहा है.
सरकार इसके लिए जल्द ही संविधान में बदलाव करेगी. इसके लिए संविधान के अनुच्छेद 15 और अनुच्छेद 16 में बदलाव किया जाएगा. दोनों अनुच्छेद में बदलाव कर आर्थिक आधार पर आरक्षण देने का रास्ता साफ हो जाएगा.
बीजेपी से नाराज थे सवर्ण!
आपको बता दें कि पिछले साल जब सुप्रीम कोर्ट ने SC/ST एक्ट में बदलाव करने का आदेश दिया था, तब देशभर में दलितों ने काफी प्रदर्शन किया था. जिसको देखते हुए केंद्र सरकार ने सुुप्रीम कोर्ट का फैसला बदल दिया था. माना जा रहा था कि मोदी सरकार के इस फैसले से सवर्ण काफी नाराज हो गए हैं. दलितों के बंद के बाद सवर्णों ने भी भारत बंद का आह्वान किया था.