डेस्क : भारत-बांग्लादेश के दर्शना गेडे बॉर्डर पर दरभंगा के हायाघाट प्रखण्ड के मनोरथा निवासी सतीश चौधरी को 11 साल बाद बांग्लादेश की जेल से रिहा कर दिया गया है।
दर्शना गेडे बॉर्डर पर बांग्लादेश के बॉर्डर गार्ड्स ने भारत के बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स के हवाले कर दिया है। सतीश को बॉडर्र पर लेने के लिए उसके छोटे भाई मुकेश चौधरी पहुंचे थे। सनद रहे कि कुछ दिन पहले उसकी रिहाई की खबर फोन पर सुनते ही सतीश के परिवार के साथ पूरे गांव में खुशी की लहर दौड़ गयी। गौरतलब है कि 2008 में मानसिक तौर पर बीमार सतीश चौधरी इलाज के लिये पटना आया था, जहां से अचानक गायब हो गया। परिजनों की ओर से उसकी काफी खोजबीन की गई, लेकिन वह नहीं मिला।
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बाद में 2012 में जानकारी मिली कि वह बांग्लादेश की जेल में बंद है। अपने भाई को छुड़ाने के लिये सतीश का छोटा भाई मुकेश चौधरी ने काफी प्रयास किया। वह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से लेकर दिल्ली गृह मंत्रालय भी गया, लेकिन कोई मदद नहीं मिली।
थक हार कर मुकेश चौधरी ने इसी साल जुलाई माह में चीफ जस्टिस आॅफ इंडिया से सम्मानित मानवाधिकार कार्यकर्ता विशाल रंजन को पत्र लिखा। उन्होंने इस पर त्वरित संज्ञान लेते हुए बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना, सुप्रीम कोर्ट आॅफ इंडिया के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखा। जिस पर सुनवाई के बाद बांग्लादेश की जेल में बंद सतीश को वापस लाया गया। वहीं सतीश के भाई मुकेश के साथ गए मानवाधिकार कार्यकर्ता विशाल रंजन ने बताया कि सतीश के वापस आने से उसके परिजन और गांव के लोक काफी खुश हैं।
सतीश की माँ ने बताया कि उनके छोटे बेटे के मोबाइल पर फोन आया कि 12 सितंबर को बांग्लादेश की जेल से सतीश को रिहा किया जा रहा है। इस खबर के बाद सभी बेहद खुश हैं। वहीं सतीश के पुत्र आशिक ने कहा कि बचपन में हमने अपने पिता को देखा था। अब उनका चेहरा भी ठीक से याद नहीं है। उनके आने की खबर सुनकर बहुत खुश हूं।