राज प्रताप सिंह, लखनऊ ब्यूरो। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सभी विधायकों को पंडित दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद दर्शन का पाठ पढ़ाने के लिए चंदौली में कार्यशाला आयोजित की जा रही है। कार्यशाला के बहाने विधायकों को 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ने की रणनीति बताई जाएगी। उन्हें चुनाव मैदान में अभी से उतर कर तैयारी में जुट जाने का आह्वान किया जाएगा। इन सभी बैठकों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव व प्रदेश महामंत्री (संगठन) सुनील बंसल समेत अन्य पदाधिकारी भी मौजूद रहेंगे।
नीति आयोग के चिन्हित किए गए प्रदेश के आठ अति पिछड़े जिलों में एक चंदौली में तीन मार्च को अवध और कानपुर-बुंदेलखण्ड क्षेत्र के विधायकों की कार्यशाला लगाए जाने का कार्यक्रम था। फिर पांच मार्च को चंदौली में ही ब्रज और पश्चिम क्षेत्र के विधायक कार्यशाला में बुलाए गए जा रहे थे। काशी और गोरखपुर क्षेत्र के विधायकों को चंदौली में ही इसी बीच चार या छह मार्च को बुलाने की संभावना बनी थी।
इन कार्यशालाओं में वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर विधायकों को अपने क्षेत्र में सक्रिय करने के लिए ये कार्यशालाएं चंदौली के पंडित दीनदयाल शोध संस्थान में आयोजित होनी थीं। देर रात भाजपा संगठन के नेताओं ने तय किया है कि इस कार्यक्रम को होली के बाद रखा जाए। वहीं स्नातक चुनाव में भी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह व सुनील बंसल के व्यस्त कार्यक्रम हैं। फिलहाल, इसे लेकर अंतिम मुहर भाजपा संगठन महामंत्री सुनील बंसल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लगानी है।
पार्टी सूत्रों के अनुसार इन कार्यशालाओं में चुनाव के आखिरी दो सालों में अपने विधानसभा क्षेत्र में जाकर विकास कार्यों की गति तेज करने और क्षेत्र की जनता से सीधे संपर्क में रहने के लिए विधायकों को प्रेरित किया जाएगा। विधायकों को चंदौली में स्थापित पंडित दीन दयाल की 65 फीट ऊंची कांस्य प्रतिमा के दर्शन कराए जाएंगे। इसके अलावा दीनदयाल के अन्य स्मारकों पर भी विधायकों को ले जाया जाएगा। पंडित दीनदयाल ने मुगलसराय रेलवे स्टेशन (अब पंडित दीनदयाल रेलवे स्टेशन) पर अंतिम सांस ली थी।
कार्यशाला में समाज के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति के आंसू पोछने की दीनदयाल की मंशा पर व्याख्यान भी दिया जाएगा। सूत्रों के अनुसार मौजूदा समय पार्टी में बड़ी तादाद में विभिन्न दलों के नेता आकर विधायक बन गए हैं। वे पंडित दीनदयाल उपाध्याय और श्यामा प्रसाद मुखर्जी सरीखे पार्टी के प्रेरणास्रोतों के विचारों से परिचित ही नहीं हैं।