राज प्रताप सिंह, लखनऊ ब्यूरो।
कोरोना संकट का असर उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनाव की तैयारियों पर भी पड़ रहा है। इन चुनावों को समय से करवाने के लिए राज्य निर्वाचन आयोग ने फरवरी व मार्च में जो कार्य योजना बनायी थी अब वह अधर में लटक गयी है। मतपत्रों की छपाई, मतपेटियों व चुनाव सामग्री आदि की आपूर्ति के लिए टेण्डर प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी। वोटर लिस्ट के पुनरीक्षण के लिए भी अब नये सिरे से कार्ययोजना बनायी जाएगी। इस बीच प्र
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देश सरकार ने पंचायत चुनाव करवाने के लिए 490 करोड़ रूपये जारी कर दिये हैं।
राज्य निर्वाचन आयोग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश की ग्राम पंचायतों के मौजूदा ग्राम प्रधानों का कार्यकाल आगामी 25 दिसम्बर को समाप्त हो रहा है। इसी क्रम में अगले साल 13 जनवरी को जिला पंचायत अध्यक्ष और 17 मार्च को क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष का कार्यकाल पूरा होगा। उससे पहले यह चुनाव करवाए जाने जरूरी हैं। मगर मौजूदा हालात में समय से तैयारियां पूरी न हो पाने से इन पंचायत चुनावों को छह माह के लिए टाला भी जा सकता है।
आयोग के सूत्रों के अनुसार अगर आगामी 30 अप्रैल तक स्थितियां सामान्य हो भी जाएं तो भी मई और जून के दो महीनों में पंचायतों का परिसीमन पूरा किया जाएगा। जिन ग्राम पंचायतों का पिछले 5 वर्षों में शहरी निकायों में विलय हुआ है उनको हटाकर अब ऐसी पंचायतों के नये सिरे से वार्ड तय होंगे। इसके बाद जुलाई में वोटर लिस्ट का विस्तृत पुनरीक्षण शुरू होगा जिसमें साढ़े तीन से चार महीने का समय लगेगा। इस लिहाज से यह प्रक्रिया अक्टूबर में पूरी हो पाएगी। इसके बाद चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद पूरी चुनाव प्रक्रिया सम्पन्न करवाने में 42 दिन का समय और चाहिए होगा।