दरभंगा : ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुरेन्द्र कुमार सिंह ने कहा कि मिथिला की विरासत को सहेजना हम सबकी महती जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि मैं विरासत के प्रति सजग हंू और इसको बचाने के लिए हो रहे किसी भी प्रयास का सहभागी रहूंगा। कुलपति इसमाद फाउंडेशन के तत्वावधान में कामेश्वर नगर में स्थित गांधी सदन में आयोजित व्याख्यान माला को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।
इस मौके पर मो. मंजर सुलेमान ने आचार्य रमानाथ झा हेरिटेज सीरीज के तहत जानकीनंदन सिंह स्मृति व्याख्यान देते हुए कहा कि उर्दू के पहले कवि अमीर खुसरों ने अपनी रचनाओं में मैथिली के शब्दों का प्रयोग किया। वहीं दूसरी ओर कवि विद्यापति की रचनाओं मे उर्दू शब्दों के प्रयोग हुए हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए गजानंद मिश्र ने दरभंगा के नामकरण और उसके विकास, सामाजिक सरोकारों, मछली के प्रजातियों और जल प्रबंधन पर विस्तार से प्रकाश डाला। इस मौके पर कुलपति ने कंदर्पीघाट युद्ध की निशानी मिथिला विजय स्तंभ की प्रतिलिपि का अनावरण किया। इस मौके पर कुलसचिव कर्नल निशीथ कुमार राय, प्रो. रतन कुमार चौधरी, प्रो. जितेन्द्र नारायण, प्रो. चंद्रभानु प्रसाद सिंह, प्रो. विश्वनाथ झा, डॉ. बैद्यनाथ चौधरी बैजू, डॉ. विनय कुमार चौधरी, डॉ. शंकर देव झा, श्रुतिकर झा, रमण दत्त झा आदि उपस्थित थे। धन्यवाद ज्ञापन फाउंडेशन के न्यासी संतोष कुमार और संचालन सुमन झा ने किया।