(उ०स० डेस्क) :मोदी सरकार के लगातार प्रयासों के बाद भी महँगाई पर काबू पाने में केंद्र की नीति विफल नजर आ रही है.यूँ तो सरकार आमजनों के हितों की बात करती है वहीं आमजनों के लिए सबसे बड़ी समस्या महँगाई की मार है और महँगाई हमेशा से ही तेल के दरों पर निर्भर करती है. तेल के दामों के बढ़ने और घटने से महँगाई घटती और बढ़ती है.
सितंबर महीने की पहली तारीख से आम आदमी को महंगाई का झटका लगने वाला है. पेट्रोल के दाम में 3.38 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत में 2.67 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी कर दी गई है. नई कीमतें आधी रात से लागू कर दी गई.
लगातार कई कटौती के बाद बढ़ोतरी
इसके पहले 15 अगस्त को पेट्रोल के दाम में 1 रुपये लीटर और डीजल के दाम में 2 रुपये लीटर की कटौती की गई थी. जबकि 30 जुलाई को भी तेल कंपनियों ने समीक्षा के बाद पेट्रोल के दाम में 1.42 रुपये लीटर और डीजल के दाम में 2.01 रुपये लीटर की कटौती की थी.
तेल की कीमतों की समीक्षा के बाद ऐलान
गौरतलब है कि देश में तेल कंपनियां हर 15 दिन में पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों की समीक्षा करती हैं. इसके बाद अंतरराष्ट्रीय क्रूड के दामों के आधार पर घरेलू तेल कीमतों में बदलाव करती हैं. जिसके बाद लगातार कटौती के बाद दामों में इजाफा किया गया है.