डेस्क : बिहार के लखीसराय में शिक्षा विभाग के अजब-गजब कारनामे दिखने को मिल रहे हैं। शिक्षा विभाग की ‘दरियादिली’ से जहां एक मृत शिक्षिका को साल भर से वेतन का भुगतान किया जा रहा है, वहीं नौकरी छोड़ चुकीं पूर्व शिक्षिका को भी वेतन दिया जा रहा है। हद तो तब हो गई, जब एक फर्जी शिक्षिका को उनके नियोजन से तीन साल पहले से ही वेतन का भुगतान कर दिया गया और एक फर्जी शिक्षिका की मृत्यु पर उनके बेटे को अनुकंपा का लाभ देते हुए बहाल कर दिया गया।
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दरअसल, विभाग को अपनी इन गलतियों की पूरी खबर है, लेकिन कार्रवाई सिर्फ एक मामले में ही हो सकी है। यह कार्रवाई भी महज प्राथमिकी तक ही सीमित है। सूर्यगढ़ा प्रखंड के हाई स्कूल अलीनगर में पदस्थापित शिक्षिका मोनिका कुमारी की मृत्यु पिछले वर्ष अगस्त महीने में आग लगने से हो गई थी। वहीं पिपरिया प्रखंड के वलीपुर हाई स्कूल की शिक्षिका को झारखंड के नवोदय में पिछले साल ही अगस्त महीने में नौकरी लग गई। शिक्षिका स्कूल छोड़कर झारखंड चली गईं, उसके बाद से वह वापस नहीं लौटी। इन दोनों शिक्षिकाओं को इस वर्ष के जून महीने तक का वेतन भुगतान कर दिया गया है। हालांकि जिले के सभी शिक्षकों का वेतन भुगतान जून तक ही हुआ है।
ऐसे खुला मामला, तो उठे सवाल
शिक्षकों का एडवाइस जब बैंक गया, तो उसी दौरान किसी शिक्षक को उनके नामों पर नजर पड़ी। शिक्षक को मालूम था कि दोनों शिक्षिकाएं अब संबंधित स्कूलों में नहीं हैं।
विभाग को जब इसकी खबर मिली तो विभाग ने संज्ञान लेने की बात कही। इस बीच सवाल यह उठ रहा है कि बगैर अनुपस्थिति विवरणी देखे विभाग क्यों संबंधित शिक्षिकाओं के खाते में पैसे भेजता रहा?
नियमत: शिक्षकों के वेतन भुगतान अनुपस्थिति विवरणी जमा करने के बाद ही होते हैं। हाई स्कूल के लिए डीपीओ स्थापना और प्राथमिक और मध्य विद्यालय के शिक्षकों की अनपुस्थिति विवरणी बीइओ को सौंपनी पड़ती है।