डेस्क : एनएमसीएच में बेड पर बैठा कुत्ता वाली तस्वीर को लेकर खबर वायरल होने पर स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव ने इस ख़बर के फेंक होने की पुष्टि की है। ट्विट कर प्रधान सचिव ने इस तस्वीर को एनएमसीएच की नहीं होने की भी पुष्टि की।
ये थी वायरल हो रही ख़बर ?
कोरोना संकट में बिहार के लिए वरदान साबित हो रहा पटना का एनएमसीएच से एक ऐसी तस्वीर सामने आ रही है जो स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोलती दिख रही है और एनएमसीएच में व्याप्त अव्यवस्था का नजारा भी दिख रहा है।
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नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एनएमसीएच) को कोरोना डेडिकेटेट हॉस्पिटल बनाया गया है। यहां सिर्फ कोरोना पीड़ित मरीजों का ही इलाज हो रहा है। एक तरफ इस अस्पताल से जहां 100 से ज्यादा मरीज ठीक होकर घर लौट गए हैं वहीं दूसरी तरफ अस्पताल में फैली अव्यवस्था से महामारी फैलने का खतरा और बढ़ गया है।
- एनएमसीएच में अव्यवस्थाओं का आलम यह है कि यहां ऑर्थोपेडिक वॉर्ड के बेड पर कुत्ता बैठा हुआ है।
- पीपीई किट और मास्क खुले में फेंकने से और बढ़ सकता है संक्रमण का खतरा
- अस्पताल प्रबंधन ने पहले ही स्वास्थ्य कर्मियों को पीपीई किट पॉलीबैग में डालने को कहा है
नगर निगम द्वारा उपलब्ध कराए गए डस्टबिन में पड़ा मिला पीपीई किट व मास्क।
एनएमसीएच के ऑर्थोपेडिक वॉर्ड में आए दिन कुत्ते घूमते रहते हैं। आवारा पशुओं को अस्पताल के अंदर आने से रोकने वाला कोई नहीं है। कुत्ते अस्पताल में बिस्तर पर बैठे रहते हैं।
वहीं, दूसरी तरफ अस्पताल में नगर निगम की तरफ से कूड़ा फेंकने के लिए रखे गए डस्टबिन में पीपीई किट और मास्क फेंके हुए मिले। कई स्वास्थ्य कर्मी किट को इस्तेमाल करने के बाद पॉलीबैग में डालने की बजाय इसे खुले में फेंक देते हैं। इससे कई लोगों में संक्रमण बढ़ सकता है। हालांकि, अस्पताल प्रबंधन स्वास्थ्य कर्मियों को हिदायत दी है कि मास्क और पीपीई किट उपयोग के बाद इधर-उधर न फेंके और उसे पॉलीबैग में ही डाले।
बता दें कि पीपीई किट उपलब्ध कराने वाली कंपनियां इसके साथ एक पॉलीबैग भी देती है। किट का इस्तेमाल करने के बाद उसे पॉलीबैग में डालना होता है। कंपनी के लोग अस्पताल आते हैं और किट को डिस्पोज करते हैं।
ख़बर वायरल होने पर स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने ट्वीट कर की गलत खबर होने की पुष्टि।