राज प्रताप सिंह, लखनऊ ब्यूरो। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि सपने दिखाने और जुमलों में भटकाने की कला कोई भाजपा से सीखे। किसानों की आय दोगनी करने और फसलों की लागत से डेढ़ गुना मूल्य दिलाने के वादे के बाद भी कोई पूरा नहीं हो पाया। केंद्र सरकार के बजट में भी किसानों के लिए कोई ठोस योजना नहीं प्रस्तुत हुई। यह कोई बताने को तैयार नहीं कि 2022 तक किसान की दशा में कैसे सुधार आएगा और कैसे आय दोगनी होगी?
अखिलेश ने शनिवार को जारी एक बयान में कहा है कि अर्थव्यवस्था का जिक्र बिना खेती-किसानी और गांव-गरीब के बिना अधूरा रहता है। देश की 70 प्रतिशत ग्रामीण आबादी इसी पर निर्भर है, लेकिन आजादी के 73 सालों बाद भी किसान की हालत नहीं सुधरी। किसान आज भी कर्ज में डूबा आत्महत्या कर रहा है। खाद, पानी, बिजली, कृषि उपकरण सभी तो मंहगे हैं, जबकि किसान को अपनी फसलों का घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य भी नहीं मिल पाता है। उत्तर प्रदेश में गन्ना किसान अभी तक बकाया भुगतान के लिए भटक रहा है।
उन्होंने कहा है कि केंद्रीय बजट में किसान को 16 सूत्रीय फार्मूले का लालच दिया गया है। किसान रेल और कृषि उड़ान का सपना भी दिखाया गया है। कांट्रैक्ट फार्मिंग का राग छेड़ा गया है, लेकिन पानी के संकट से जूझ रहे बुंदेलखंड का कोई जिक्र नहीं है। भारतीय खाद्य निगम के फंड में 76 हजार करोड़ की कटौती कर दी।
उन्होंने कहा कि फौज में ज्यादातर किसानों के बेटे भर्ती होते हैं, लेकिन उनके गांव में रहने वाले किसान पिता को तो आए दिन समस्याओं से जूझना पड़ता है। पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री ने जय जवान जय किसान का जो नारा दिया था भाजपा को उसकी प्रासंगिकता की समझ क्यों नहीं है? वित्तमंत्री रहते हुए चौधरी चरण सिंह ने 70 प्रतिशत बजट गांव-खेती के लिए रखा था।