बिक्रम (बिक्कु कुमार) : पटना के रानी तालाब थाना क्षेत्र अंतर्गत 16 प्रवासी मजदूरों को देखा गया । जो कि अलग-अलग क्षेत्रों के रहने वाले थे । जिनमें चार मजदूर खगड़िया जिला के और दो लड़के जमुई के रहने वाले थे और एक लड़का मुंगेर का रहने वाला बता रहा था।
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इन मजदूरों कि टीम डाल्टनगंज में काम करती थी । लोक डाउन लागू होते ही इनका काम धंधा भी बंद हो गया इन्होंने बताया कि इनके पास ना तो खाने को अनाज और ना ही जेब मे रुपए बचे थे । मकान मालिक द्वारा मकान का किराया मांगी जाती थी और इन्हें प्रताड़ना भी सहना पड़ता था ।
जब जीविका चलाने में बिल्कुल असमर्थ हो गए तो इन्होंने डालटनगंज छोड़कर खगड़िया जाने का विचार किया और वहां से निकल गए। जिसके बाद इन्हें रानी तालाब थाना क्षेत्र अंतर्गत देखा गया।
वहीं संवाददाताओं द्वारा पूछे जाने पर इन्होंने परिस्थितिक घटना को बताया और अपने नाम पत्ते के साथ हालात की भी जानकारी दी ।आपको बता दूँ कि मजदूरों ने यह भी बताया कि उन्होंने अपने स्तर से कई सरकारी रहनुमाओं के पास
गुहार लगा चुके हैं। लेकिन किसी ने उनकी मदद नहीं की। अब आप सोच सकते हैं कि केवल सुशासन बाबू नाम ही है
इनके शासन में हर काम कुशासन हो रहा है । ऐसे कई जगह गरीब पलदार भूख से मर रहे हैं और इनके नजर में दोषी है तो केवल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार । मजदूरों ने बताया कि सरकारी सहायता हम लोगों के पास नहीं पहुंच रहा था। मजदूरों ने बताया कि हमारे पास खाने के लिए खाद्य संग्रह में नहीं है और नहीं मेरे पास पैकेट में पैसा है मजदूरों ने निश्चय कर लिया कि अब घर ही जाना ठीक रहेगा। सभी मजदूर डाल्टेनगंज से पैदल अपने घर के लिए निकल पड़े। मजदूरों ने बताया कि लॉक डाउन में गरीब लोगों को जीना मुश्किल हो गया है। सरकार अगर दे रही है तो गरीब बेसहारा लोगों के पास क्यों नहीं पहुंच रहा है।